दसमुखी रुद्राक्ष : दशावतार का वास

Jitendra Kumar Sinha
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रूद्राक्ष धारण करने वाले को, किसी भी तरह की गम्भीर, शारीरिक एवं मानसिक बीमारियाँ नहीं होती है, बल्कि रूद्राक्षधारी असाध्य गम्भीर रोग से भी, मुक्ति पा लेता है। इसलिए रूद्राक्ष धारण करने वालों को शिवस्वरूप की प्राप्ति होता है। 


दसमुखी रुद्राक्ष को दशावतार- मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि के स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह दसों अवतार प्रसन्न होकर दसमुखी रुद्राक्ष में वास करते हैं। दसमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से दसों दिशाएँ और दस दिक्पाल- इन्द्र, अग्नि, यम, निऋति, वरुण, वायु, कुबेर, ईशान, अनन्त और ब्रह्मा धारक से संतुष्ट रहते हैं।


दसमुखी रुद्राक्ष धारण करने से दसों इन्द्रियों से किये हुए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। दसमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले को लोक सम्मान मिलता है। उसे कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है। इसके धारण करने से 6 तारक की सभी लौकिक तथा पारलौकिक कामनाएँ पूर्ण होती हैं। इसके इन्हीं गुणों के कारण नेताओं, सेवियों तथा कलाकारों आदि के लिए इसे धारण करना लाभदायक माना गया है।


दसमुखी रुद्राक्ष विष्णु व दिशाओं का प्रतीक है। इसको धारण करने से यश बढता है तथा भूत पिशाच, बेताल, ब्रह्मराक्षस आदि पीड़ित नहीं करते हैं। सर्वग्रह भी इसके प्रभाव से शांत रहते हैं।

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