अरविंद केजरीवाल: जॉब छोड़ने में गोल्ड मेडलिस्ट!

Jitendra Kumar Sinha
0

 


अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति का एक चर्चित नाम हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक के रूप में उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से अपनी राजनीति की शुरुआत की। लेकिन उनके करियर पर गौर करें तो यह साफ दिखाई देता है कि उन्होंने लगभग हर क्षेत्र से इस्तीफा दिया है, चाहे वह सरकारी नौकरी हो, सामाजिक आंदोलन हो, या खुद उनकी सरकार हो। आइए, उनके इस प्रवृत्ति पर एक नज़र डालते हैं।


1. भारतीय राजस्व सेवा (IRS) से इस्तीफा (2006)

अरविंद केजरीवाल ने 1995 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) की परीक्षा पास की और आयकर विभाग में अधिकारी बने। लेकिन कुछ सालों बाद, 2006 में, उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी। आधिकारिक रूप से उन्होंने कहा कि वे समाज सेवा करना चाहते हैं, लेकिन बाद में विवाद हुआ कि उन्होंने बिना सरकारी नियमों का पालन किए नौकरी छोड़ी थी।


2. इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) से दूरी (2012)

साल 2011 में, अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ (IAC) नामक आंदोलन चलाया। इस आंदोलन का मकसद लोकपाल कानून लागू करवाना था। लेकिन जब अन्ना हजारे ने राजनीति में जाने से इनकार कर दिया, तो केजरीवाल ने IAC से अलग होकर अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली। अन्ना हजारे ने इस पर नाराज़गी जताई और कहा कि आंदोलन के उद्देश्य से भटककर केजरीवाल सत्ता की राजनीति में चले गए।


3. पहली बार मुख्यमंत्री बनकर 49 दिन में इस्तीफा (2014)

2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने, लेकिन केवल 49 दिन बाद उन्होंने यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि उनकी सरकार को जनलोकपाल बिल पास करने नहीं दिया जा रहा। उनके इस फैसले की कड़ी आलोचना हुई और उन्हें "भगोड़ा मुख्यमंत्री" कहा गया।


4. लोकसभा चुनाव में हार और ‘भागने’ के आरोप (2014)

2014 के लोकसभा चुनाव में केजरीवाल ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन भारी मतों से हार गए। इसके बाद उन्होंने लोकसभा राजनीति से पूरी तरह दूरी बना ली और दिल्ली में वापसी की।


5. पंजाब में सीएम बनने की महत्वाकांक्षा और फिर कदम पीछे खींचना (2017, 2022)

2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में AAP ने खुद को कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा गठबंधन के खिलाफ मुख्य चुनौती के रूप में पेश किया। लेकिन जब चुनाव परिणाम आए, तो पार्टी को निराशा हाथ लगी। हालांकि 2022 में AAP ने पंजाब में सरकार बना ली, लेकिन केजरीवाल ने खुद मुख्यमंत्री बनने की बजाय भगवंत मान को आगे कर दिया। इससे यह साफ हुआ कि वह पूर्णकालिक रूप से दिल्ली से बाहर की राजनीति में उतरने से बच रहे थे।


अरविंद केजरीवाल ने अपने करियर में कई बार बड़ी जिम्मेदारियों को छोड़ दिया है—चाहे वह सरकारी नौकरी हो, आंदोलन हो, या मुख्यमंत्री पद। उनके इस रवैये के कारण उन्हें ‘इस्तीफों का बादशाह’ कहा जाता है। हालांकि उनके समर्थक इसे उनकी ईमानदारी और नैतिकता का प्रमाण मानते हैं, लेकिन उनके विरोधी इसे अवसरवादिता और जिम्मेदारी से भागने की प्रवृत्ति बताते हैं। भारत की राजनीति में उनका यह सफर निश्चित रूप से अनोखा रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top