पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों पर अपने बयान से हलचल मचा दी है। हाल ही में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच किसी प्रकार की औपचारिक मध्यस्थता नहीं की, लेकिन इस लंबे समय से चले आ रहे टकराव को सुलझाने में "मदद" जरूर की।
यह बयान उन्होंने 2025 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक जनसभा के दौरान दिया। ट्रंप ने कहा, “मैंने कभी भारत और पाकिस्तान के बीच औपचारिक मध्यस्थता नहीं की। लेकिन जब मैं राष्ट्रपति था, तो मैं दोनों देशों के नेताओं से बात करता था और स्थिति को शांतिपूर्ण बनाने में अहम भूमिका निभाई। मैंने इस समस्या को हल करवाने में मदद की।”
ट्रंप का ‘मदद’ शब्द: एक कूटनीतिक चाल?
डोनाल्ड ट्रंप अपने कार्यकाल के दौरान कई बार भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने की कोशिशों का दावा कर चुके हैं। साल 2019 में, उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें "कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने" को कहा था, हालांकि भारत सरकार ने इस दावे का खंडन करते हुए साफ कहा था कि किसी भी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।
अब जब ट्रंप कह रहे हैं कि उन्होंने “मदद” की लेकिन “मध्यस्थता नहीं की”, तो यह बयान उनके पिछले बयानों से थोड़ी दूरी बनाता दिख रहा है। यह भी स्पष्ट करता है कि वे इस विषय पर राजनीतिक रूप से संतुलित रुख अपनाना चाह रहे हैं, खासकर भारतीय-अमेरिकन समुदाय को ध्यान में रखते हुए, जो आगामी चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध: एक जटिल इतिहास
भारत और पाकिस्तान के बीच का संबंध कई दशकों से तनावपूर्ण रहा है, खासकर कश्मीर को लेकर। 2019 में पुलवामा आतंकी हमले और उसके बाद हुए बालाकोट एयरस्ट्राइक के चलते दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। इसके बाद लाइन ऑफ कंट्रोल पर गोलीबारी की घटनाएं आम हो गई थीं।
हालांकि 2021 में दोनों देशों की सेनाओं ने एक साझा बयान जारी कर संघर्षविराम का पालन करने की बात कही थी। यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका, की सक्रिय भागीदारी और परोक्ष संवाद की वजह से संभव हो पाया।
ट्रंप का चुनावी दांव या सच्चाई?
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अब यह कहना कि उन्होंने सिर्फ “मदद” की, मध्यस्थता नहीं, कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए एक चुनावी रणनीति जैसा प्रतीत होता है। अमेरिकी राजनीति में विदेशी नीति का खास स्थान है और दक्षिण एशिया, खासकर भारत से जुड़े मुद्दे, अमेरिका में बसे भारतीय मूल के मतदाताओं के लिए बेहद संवेदनशील होते हैं।
इसलिए ट्रंप यह दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए काम किया, लेकिन साथ ही एक वैश्विक नेता के तौर पर शांति बनाए रखने की कोशिश भी की।