21 अप्रैल 2025 को पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिससे पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। वेटिकन द्वारा जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि पोप फ्रांसिस ने सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। उन्होंने अपना पूरा जीवन यीशु और चर्च की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था।
पोप फ्रांसिस, जिनका जन्म अर्जेंटीना के बुएनोस आयर्स में हुआ था, 2013 में कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप बने। वे अपने 12 वर्षों के कार्यकाल में करुणा, विनम्रता और सामाजिक न्याय के प्रतीक बन गए। उन्होंने गरीबों, प्रवासियों, पर्यावरण और मानव अधिकारों के मुद्दों पर निडरता से आवाज उठाई। उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति ईस्टर संडे को सेंट पीटर्स स्क्वायर में हुई थी, जहां उन्होंने गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद लोगों को संबोधित किया।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने पोप को "करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस का प्रकाशस्तंभ" बताया और कहा कि वे उनसे व्यक्तिगत रूप से बेहद प्रभावित थे। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत के लोगों के प्रति पोप का स्नेह हमेशा संजोया जाएगा।
दुनिया भर के नेताओं ने पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें “आशा और एकता फैलाने वाला मिशनरी” बताया। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने उन्हें एक मार्गदर्शक और सच्चा मित्र कहा। ब्रिटेन के किंग चार्ल्स और आयरलैंड के ताओसीच मीकाल मार्टिन ने भी उनके अंतरधार्मिक संवाद और वैश्विक करुणा के प्रयासों की सराहना की।
पोप फ्रांसिस का जीवन और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। वे न केवल एक धार्मिक नेता थे, बल्कि एक मानवीय क्रांति के अग्रदूत भी थे। उनकी आत्मा को शांति मिले।
