₹2000 से अधिक के UPI ट्रांजैक्शन पर 18% GST?

Jitendra Kumar Sinha
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हाल ही में सोशल मीडिया पर और कुछ मीडिया चैनलों के ज़रिए एक बड़ी खबर तेजी से फैलने लगी — कि सरकार अब ₹2000 से अधिक के UPI (यूपीआई) लेनदेन पर 18% GST (जीएसटी) वसूलने जा रही है। इस खबर ने आम जनता, छोटे व्यापारियों, फ्रीलांसरों और ऑनलाइन पेमेंट करने वालों के बीच हलचल मचा दी।


UPI आज के समय में हर वर्ग का हिस्सा बन चुका है। चाहे सब्ज़ी वाला हो या ऑनलाइन स्टोर, हर कोई UPI के ज़रिए भुगतान ले रहा है। ऐसे में अगर सरकार सचमुच UPI पर टैक्स लगाने वाली होती, तो यह डिजिटल इंडिया के सपने को गहरी चोट पहुँचा सकता था।


सरकार का जवाब: ‘पूरी तरह अफवाह है!’

सरकार ने इस पूरे मामले में दो टूक जवाब देते हुए साफ कहा है कि ये खबर पूरी तरह से अफवाह, भ्रामक और निराधार है। वित्त मंत्रालय ने 18 अप्रैल 2025 को स्पष्ट रूप से कहा कि ₹2000 या इससे अधिक के UPI ट्रांजैक्शनों पर किसी भी प्रकार का 18% GST लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है और ऐसा करने की कोई योजना नहीं बनाई गई है।

इस बयान से सरकार ने जनता में फैले डर को खत्म करने की कोशिश की है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि ऐसी भ्रामक जानकारी फैलाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि इससे आम नागरिकों में ग़लत संदेश जाता है और बेवजह पैनिक फैलता है।


तो फिर UPI पर कब लगता है GST?

यह सवाल भी उठना लाज़मी है कि अगर सरकार ने 18% जीएसटी नहीं लगाया, तो UPI ट्रांजैक्शन पर टैक्स लगता ही कब है?

तो जवाब यह है:
UPI ट्रांजैक्शन पर जीएसटी केवल तभी लगता है जब बैंक या कोई पेमेंट गेटवे कोई सेवा शुल्क यानी सर्विस चार्ज लेता है — जैसे कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR)। लेकिन सरकार ने जनवरी 2020 से P2M (Person to Merchant) ट्रांजैक्शन पर MDR पूरी तरह हटा दिया था। इसका मतलब है कि अगर आप किसी दुकान, व्यापारी, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को UPI से पेमेंट कर रहे हैं, तो आमतौर पर न तो MDR लगता है और न ही उसपर कोई GST।


सरकार का डिजिटल इंडिया पर फोकस

सरकार का मकसद साफ है — भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाना और डिजिटल ट्रांजैक्शनों को इतना आसान और किफायती बनाना कि आम आदमी भी इसमें भागीदारी कर सके। यही वजह है कि UPI जैसी सुविधाएं आम लोगों के लिए नि:शुल्क और सरल बनाई गई हैं।


भारत में आज जितनी तेजी से डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ रहा है, उसमें UPI की भूमिका बेहद अहम है। यह न केवल ट्रांजैक्शन को तेज़ बनाता है, बल्कि कैशलेस इकोनॉमी की ओर एक बड़ा कदम भी है। सरकार इस क्रांति को और बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है।


डरने की नहीं, समझने की ज़रूरत है

इस पूरे प्रकरण से एक बात तो तय है — अफवाहें तेज़ होती हैं, लेकिन सच्चाई ठोस होती है। ₹2000 से अधिक के UPI ट्रांजैक्शन पर 18% GST लगाने की खबरें पूरी तरह झूठी हैं और इनका कोई आधार नहीं है। सरकार ने भी इस पर साफ-साफ स्थिति स्पष्ट कर दी है।

तो अगली बार जब व्हाट्सएप पर कोई ऐसा मैसेज आए, जिसमें दावा किया जाए कि अब UPI पेमेंट पर टैक्स लगेगा — तो फॉरवर्ड करने से पहले सोचिए, और सच्चाई जानिए

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