भारत-नेपाल सीमा पर घुसपैठ की आशंका - बढ़ाया जा रहा है सुरक्षा

Jitendra Kumar Sinha
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भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक संबंधों की नींव में विश्वास और सहयोग की भावना रही है। दोनों देशों के बीच तकरीबन 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जहां नागरिक बिना वीजा-परमिट के आ-जा सकते हैं। लेकिन यही खुली सीमा कई बार घुसपैठियों, आतंकवादियों और असामाजिक तत्वों के लिए भी एक सुनहरा मौका बन जाता है। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में खुफिया रिपोर्ट में यह सनसनीखेज दावा किया गया है कि 30 से अधिक पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिक नेपाल की सीमा में दाखिल होकर भारत में घुसपैठ की फिराक में हैं। इस इनपुट के बाद उत्तर प्रदेश से लगने वाली 579 किलोमीटर की सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है।

पुलवामा से लेकर पहलगाम तक, आतंकवादी हमले भारत की आंतरिक सुरक्षा को बार-बार चुनौती देता रहा हैं। ऐसे में जब पाकिस्तानी और बांग्लादेशी संदिग्धों के नेपाल में मौजूद होने की खबर आई, तो सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए। सुरक्षा बलों को चौकन्ना कर दिया गया है। एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) को 24 घंटे सक्रिय निगरानी और कड़ी गश्त के आदेश दिया गया हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन घुसपैठियों का मकसद भारत के भीतरी इलाकों में जाकर आतंकी गतिविधियां को अंजाम देना या नेटवर्क से जुड़ना होने की संभावना है।

भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सशस्त्र सीमा बल (SSB) के पास है। एसएसबी की 42वीं वाहिनी के नायक गंगा सिंह उदावत के अनुसार, “गांव, जंगल और सीमावर्ती सड़कों पर चौबीसों घंटे गश्त तेज कर दी गई है। जवान संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।” बहराइच से लेकर महराजगंज तक गश्ती दल तैनात किए गए हैं। चेक पोस्ट्स की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन निगरानी के जरिए इलाके की गहराई से मॉनिटरिंग की जा रही है। स्थानीय नागरिकों को सतर्क किया गया है, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल सूचना दी जा सके।

उत्तर प्रदेश के जिन जिलों से भारत-नेपाल सीमा लगती है, जिसमें बहराइच जिला अत्यधिक संवेदनशील है, पीलीभीत जिला में निगरानी बढ़ाई गई है, लखीमपुर खीरी जिला में घने जंगल और नदियाँ है, श्रावस्ती जिला में ग्रामीण रास्तों से संभावित घुसपैठ की संभावना रहती है, बलरामपुर जिला में खुला भूभाग है, सिद्धार्थनगर जिला में नेपाल के साथ खुली आवाजाही है, महराजगंज जिला में सक्रिय निगरानी में है। इन सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन और एसएसबी के बीच तालमेल बनाकर सुरक्षा रणनीति बनाई गई है।

भारत और नेपाल के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तौर पर बेहद गहरे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और वामपंथी झुकाव वाली सरकारों के चलते, सीमा सुरक्षा को लेकर दोनों देशों के बीच पहले जैसी सख्ती नहीं दिख रही है। नेपाल की खुली सीमा का फायदा उठाकर पाकिस्तानी और बांग्लादेशी एजेंट नेपाल में शरण लेकर भारत में घुसने की कोशिश करते रहते हैं। कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब नेपाल के रास्ते ISI एजेंट भारत पहुंचा, फर्जी दस्तावेजों से नागरिकता बनाई और मदरसा नेटवर्क के जरिए कट्टरता फैलाने की कोशिश हुई है।

भारत-नेपाल की खुली सीमा आम नागरिकों के लिए वरदान है। रोजगार, व्यापार, धार्मिक यात्रा और पारिवारिक संबंधों के लिए लोग सहजता से एक देश से दूसरे देश में आते-जाते रहते हैं। लेकिन यही खुली सीमा, असुरक्षा का कारण बनता जा रहा है। समस्या यह है कि यहां कोई वीजा या पासपोर्ट की जांच नहीं होती है इसलिए फर्जी पहचान वाले व्यक्ति भी आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। घने जंगल और नदी क्षेत्रों से प्रवेश भी आसान है, जिसके कारण गुप्त गतिविधियों के लिए इस क्षेत्र को उपयुक्त समझा जाता है। सीमावर्ती गांवों में निगरानी की कमी रहने के कारण स्थानीय लोग कभी-कभी अनजाने में मददगार साबित हो जाते हैं।

एसएसबी अधिकारियों के अनुसार, संदिग्ध व्यक्ति नेपाल के बीरगंज, नेपालगंज और पोखरा जैसे इलाकों में छिपे हुए रहते हैं और भारत में प्रवेश के लिए रात के समय घने जंगलों का इस्तेमाल करते हैं, स्थानीय नेपाली दलालों की मदद लेते हैं और भारतीय पहचान पत्र बनवाने की कोशिश करते हैं। उनका उद्देश्य न सिर्फ भारत में स्थायी रूप से रहना होता है, बल्कि कट्टरपंथी संगठनों से जुड़कर भारत की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करना भी हो सकता है।

एसएसबी ने इस चुनौती से निपटने के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा रणनीति अपनाई है, जिसमें सीमा क्षेत्र में त्वरित निगरानी के तहत सड़कों, खेतों और जंगलों में लगातार गश्त करना, नए चेक पोस्ट की स्थापना करना,
स्थानीय जनता के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ग्राम प्रहरी योजना को सक्रिय किया है। संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी देने वालों को इनाम देने की योजना और तकनीकी निगरानी का विस्तार के तहत ड्रोन, सीसीटीवी, थर्मल इमेजिंग जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।

भारत-नेपाल सीमा से अतीत में भी घुसपैठ के कई मामलों का खुलासा हुआ था, जिसमें 2019 में पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हुआ था। 2021 में नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी नागरिक के पास से आतंकी साहित्य बरामद हुआ था। 2023 में नेपालगंज से होते हुए भारतीय सीमा में प्रवेश की कोशिश कर रहे तीन आईएसआई एजेंटों को गिरफ्तार किया गया था। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि भारत-नेपाल सीमा आतंकवादियों और दुश्मन देशों के एजेंटों के लिए 'सॉफ्ट टारगेट' बना हुआ है।

भारत सरकार ने नेपाल सीमा पर घुसपैठ के खतरे को गंभीरता से लेते हुए अंतर-मंत्रालयी बैठकें आयोजित की हैं। गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के बीच समन्वय स्थापित कर सीमा पर बाड़बंदी की योजना बनाई गई है ताकि संवेदनशील स्थानों पर सीमित रूप से बाड़ लगाने की शुरुआत की जा सके, सुरक्षा बलों की संख्या में वृद्धि करते हुए अतिरिक्त कंपनियां तैनात करना सुनिश्चित किया जा सके, नेपाल सरकार से कूटनीतिक संवाद करते हुए खुफिया सूचनाओं को साझा करने और कार्रवाई में तेजी लाने का प्रयास किया जाना चाहिए और साइबर निगरानी का विस्तार करते हुए संदिग्ध व्यक्तियों की डिजिटल गतिविधियों पर नजर रखा जाना चाहिए।

भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा की यह कड़ी निगरानी समय की मांग है। आतंकवाद के नए रूपों और बदलती रणनीतियों के मद्देनजर, खुली सीमाओं को नजरअंदाज करना देश की अखंडता के लिए खतरनाक हो सकता है।“भारत को न सिर्फ सीमाओं पर, बल्कि आंतरिक स्तर पर भी सुरक्षा को लेकर लगातार सतर्क रहना होगा।”जनता को भी इस अभियान में भागीदार बनना होगा। हर संदिग्ध गतिविधि पर निगाह रखना, कानून का पालन करना और सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग करने पर ही भारत को सुरक्षित बनाए रखा जा सकता है।



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