अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को 'लिबरेशन डे' के अवसर पर नए 'प्रतिसाद शुल्क' (reciprocal tariffs) की घोषणा की है, जिसके तहत भारत से आयातित वस्तुओं पर 26% शुल्क लगाया जाएगा। यह शुल्क 9 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा।
घोषणा का विवरण:
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सार्वभौमिक 10% शुल्क: सभी देशों से आयातित वस्तुओं पर 10% का आधार शुल्क 5 अप्रैल 2025 से लागू होगा।
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विशिष्ट देशों पर उच्च शुल्क: कुछ देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाए गए हैं, जैसे चीन पर 34%, वियतनाम पर 46%, यूरोपीय संघ पर 20%, और भारत पर 26%।
भारत पर प्रभाव:
अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर औसतन 52% शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर कम शुल्क लगाता रहा है। इस असंतुलन को ठीक करने के लिए, अमेरिका ने भारत पर 26% का 'प्रतिसाद शुल्क' लगाया है।
वैश्विक प्रतिक्रिया:
कई देशों ने इन नए शुल्कों पर चिंता व्यक्त की है। ब्रिटेन, इटली, और ब्राजील जैसे देशों ने इन शुल्कों की आलोचना की है, जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अपने व्यापार समझौतों का हवाला देते हुए इन शुल्कों को अनुचित बताया है।
विशेषज्ञों की राय:
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन नए शुल्कों से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है और वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। विशेष रूप से, तकनीकी, वस्त्र, खाद्य, और ऑटोमोबाइल उद्योगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
इन नए शुल्कों के परिणामस्वरूप, प्रभावित देश संभावित रूप से जवाबी शुल्क लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भारत और अन्य प्रभावित देशों के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए रणनीतिक कदम उठाएं और अमेरिका के साथ वार्ता करें।
