रहस्य-रोमांच के कई किस्सों और कैदियों को यातनाओं के लिए कुख्यात दुनिया की सबसे खतरनाक अल्काट्राज जेल को 62 साल बाद फिर खोलने की तैयारी चल रही है।
अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कारागार ब्यूरो के साथ न्याय विभाग, एफबीआइ और होमलैंड सिक्योरिटी को जेल दोबारा खोलने का निर्देश दिया है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने टुथ सोशल साइट पर लिखा है कि लंबे समय से अमरीका क्रूर, हिंसक और बार-बार अपराध करने वाले अपराधियों से अस्त है। इसलिए अल्काट्राज जेल खोलने का निर्देश दे रहा हूं। इसका दोबारा खुलना कानून, व्यवस्था और न्याय का प्रतीक होगा।
अल्काट्राज जेल कड़ी सुरक्षा वाली जेलों के संबंध में इस्तेमाल होने वाले मुहावरे 'परिंदा भी पर नहीं मार सकता' से भी बढ़कर थी। चूंकि इसे सैन फ्रांसिस्को में अथाह समंदर के बीच टापू पर बनाया गया था, इसलिए कैदी भागने के बारे में सोच भी नहीं सकता था।
अमरीका के सबसे खूंखार अपराधी को अल्काट्राज जेल में रखा जाता था। प्रत्येक कोठरी 9x5 फीट की थी। सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं था। जेल के हालात ऐसे थे कि कैदियों ने इसका नाम 'हेलकट्राज' (नर्क जैसी जेल) रख दिया था। जो एक बार जेल में आया, बाहर नहीं निकल सकता था। जेल के बेहद कठिन हालात से परेशान होकर कैदी या तो मानसिक संतुलन खो देता था या आत्महत्या कर लेता था।
बार-बार जुर्म करने वालों को सबक सिखाने के लिए डॉनल्ड ट्रंप ने दिए है निर्देश। भारत में कभी कुख्यात था 'काला पानी' की सजा।
ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद में रखने के लिए भारत में अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में सेल्युलर को जेल बनवाई थी। कठिन हालात को लेकर इस जेल को 'काला पानी' कहा जाता तरह था। जेल में 694 कोठरियां बनाई गई थीं कि कैदियों में आपसी मेल-जोल नहीं हो। इसकी दीवारों पर आज भी वीर शहीदों के नाम लिखे हैं।
अल्काट्राज जेल पर हॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं। जेल बंद होने से पहले ‘बर्डमैन ऑफ अल्काट्राज' (1962) में आई थी। उसी साल तीन कैदियों ने जेल से भागकर जो सनसनी फैलाई, नई थीम फिल्मकारों के हाथ लग गई। एस्केप फ्रॉम अल्काट्राज, पॉइंट ब्लैक, द रॉक' और मर्डर इन द फर्स्ट इसी थीम पर बनी फिल्म है।
हैरी पॉटर सीरीज की फिल्मों की 'अजकाबन' जेल काफी कुछ अल्काट्राज से प्रेरित थी। बार बार भागने की कोशिश की, नाकाम रहे। लेकिन 12 जून, 1962 को तीन कैदी फ्रेंक मॉरिस, जॉन ऐंग्लिन और क्लैरेन्स ऐंग्लिन भाग निकले। जेल प्रशासन ने तब कहा था कि किसी इंसान का इतना लंबा तैरकर किनारे पहुंचना नामुमकिन है। शायद तीनों कैदी डूब गए होंगे। तीनों न तो कहीं देखे गए, न इनके शव मिले। लंबी जांच-पड़ताल के बाद 1979 में प्रशासन ने इन्हें मृत घोषित कर दिया था।
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