सपनों की एक ऐसी रात, जब आकाश भी उम्मीदों की रोशनी से भर उठता है, और नदी पर तैरता है एक ऐसा जहाज, जिसकी लाल पालें भविष्य की चमकती राहों का प्रतीक बन जाता हैं वह है रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हर साल होने वाला ‘स्कारलेट सेल्स’ उत्सव है। यह कोई साधारण समारोह नहीं होता है, बल्कि हजारों छात्रों की मेहनत, उम्मीद और नये जीवन की शुरुआत का सबसे खूबसूरत जश्न है।
नेवा नदी की लहरों पर जब चमचमाता ‘स्टांडार्ट’ जहाज अपनी लाल पालों को ताने हुए द्वोसोवी ब्रिज के बीच से गुजरता है, तो पूरा शहर जैसे एक जादुई दुनिया में बदल जाता है। इस आयोजन की सबसे खास बात यही है कि यह दृश्य केवल आंखों को लुभाने वाला नहीं होता है, बल्कि दिलों को छू जाने वाला होता है। युवा ग्रेजुएट्स के लिए यह क्षण केवल एक विदाई सम्मान नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से भरी नई उड़ान का उद्घोष है।
इस त्योहार की शुरुआत 1960 के दशक में एक साहित्यिक प्रेरणा से हुई थी। रूसी लेखक अलेक्ज़ेंडर ग्रिन के उपन्यास स्कारलेट सेल्स से प्रभावित होकर यह परंपरा शुरू हुई थी। उपन्यास में लाल पालों वाला जहाज एक ऐसे सपने का प्रतीक है, जो असंभव प्रतीत होते हुए भी सच हो जाता है। समय के साथ, यह प्रतीक छात्रों के सपनों और उनकी उड़ान का पर्याय बन गया।
‘स्कारलेट सेल्स’ अब व्हाइट नाइट्स फेस्टिवल का सबसे बड़ा आकर्षण बन चुका है, जिसमें संगीत, आतिशबाजी, रोशनी और रोमांच का समावेश होता है। रात्रि के समय जब आकाश में रंग-बिरंगे पटाखे खिलते हैं और नदी के पानी पर उसका प्रतिबिंब चमकता है, तो लगता है जैसे खुद सितारे धरती पर उतर आया हो। लाखों की संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए जुटते हैं, लेकिन इस आयोजन का असली हीरो होता है, हर वह युवा, जिसने सपनों को देखने का साहस किया है।
‘स्टांडार्ट’ जहाज, जो रूसी सम्राट पीटर महान के ऐतिहासिक पोत की प्रतिकृति है, युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। इसे ‘सपनों का जहाज’ कहा जाता है, जो यह संदेश देता है कि मेहनत और संकल्प के साथ देखा गया सपना, किसी दिन हकीकत बन सकता है।
‘स्कारलेट सेल्स’ सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है, यह भरोसा है—हर नए कदम, हर नई दिशा और हर उजाले की ओर बढ़ते जीवन का उत्सव। यही वह क्षण होता है जब युवा पीढ़ी कहता है, अब हमारी बारी है, और हम तैयार हैं उड़ान के लिए।