धोबी घाट को “मॉडल धोबी घाट” में तब्दील करने की दिशा में पटना में हुआ काम शुरू

Jitendra Kumar Sinha
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पटना शहर के लिए एक नई उम्मीद जगाने वाली पहल की शुरुआत हो चुका है। राजधानी के नूतन राजधानी अंचल स्थित हड़ताली मोड़ के समीप स्थित पारंपरिक धोबी घाट को अब आधुनिक सुविधाओं से लैस “मॉडल धोबी घाट” में तब्दील करने की दिशा में पहला कदम उठा गया है। पटना जिला रजक समिति के महामंत्री राम विलास प्रसाद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पटना नगर निगम के मुख्य अभियंता से इस संबंध में भेंट की।

इस बैठक में मुख्य अभियंता ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि धोबी समुदाय की वर्षों पुरानी मांग को गंभीरता से लेते हुए, नूतन राजधानी अंचल स्थित धोबी घाट को पूर्ण रूप से विकसित किया जाएगा। इस घाट को एक मॉडल के रूप में तैयार किया जाएगा, जिससे यहां कार्यरत रजक समुदाय को न केवल स्वच्छ वातावरण मिलेगा, बल्कि तकनीकी रूप से उन्नत सुविधाएं भी प्राप्त होगी। इस कार्य के लिए जमीन की मापी और आवश्यक एस्टिमेट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दिया गया है।

धोबी घाटों की हालत वर्षों से उपेक्षित रहा है, जिससे वहां काम करने वाले लोगों को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गंदगी, जलनिकासी की समस्या, मशीनों का अभाव, छाया और शौचालय जैसी बुनियादी जरूरतों की कमी जैसे अनेक मुद्दे लंबे समय से अनदेखा रह रहा हैं। लेकिन अब नगर निगम की पहल से साफ संकेत मिल रहा है कि रजक समुदाय को भी शहर के विकास की मुख्यधारा में लाने की कोशिश किया जा रहा है।

महामंत्री राम विलास प्रसाद ने जानकारी दी कि सिर्फ नूतन राजधानी अंचल ही नहीं, बल्कि पटना के अन्य प्रमुख धोबी घाटों जैसे करबिगहिया, मंदिरी, रामपुर धाई टोला, पटेल चौक और मंगल तालाब स्थित घाटों के जीर्णोद्धार की भी योजना बनाई गई है। इन सभी घाटों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जाएगा ताकि रजक समाज सम्मानपूर्वक अपने पारंपरिक कार्य को आगे बढ़ा सके। इसके लिए संबंधित अंचलों के कार्यपालक अभियंताओं को जल्द से जल्द प्राक्कलन तैयार करने का निर्देश दिया गया है। रजक समाज इस पहल को एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देख रहा है और उम्मीद कर रहा है कि यह योजना जल्द ही धरातल पर आकार लेगी।

पटना नगर निगम की इस पहल से न केवल रजक समाज को आर्थिक और सामाजिक मजबूती मिलेगी, बल्कि यह अन्य शहरों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा कि परंपरागत व्यवसायों को कैसे सम्मान और आधुनिकता के साथ जोड़ा जा सकता है। अब देखना यह है कि यह शुभ शुरुआत कब तक एक आदर्श रूप लेकर सामने आता है।



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