रसोई में आलू एक ऐसा सब्जी है जो हर घर में रोजाना इस्तेमाल होता है। यह सस्ती, स्वादिष्ट और बहुउपयोगी है, लेकिन अक्सर अनदेखी किया जाता है जब आलू अंकुरित हो जाता है। हम सोचते हैं कि छीलकर इस्तेमाल कर लेंगे, लेकिन यहीं से हमारी सेहत के लिए खतरा शुरू हो जाता है।
अंकुरित आलू में ‘ग्लाइकोएल्कलॉइड’ नामक जहरीला तत्व अधिक मात्रा में बनने लगता है। यूनिवर्सिटी ऑफ लिंकन के डॉक्टर क्रिस बिशप के अनुसार, यह तत्व प्राकृतिक तौर पर सभी आलुओं में होता है, लेकिन जैसे ही आलू अंकुरित होता है या उस पर हरे धब्बे आते हैं, इसकी मात्रा बहुत अधिक हो जाता है। यह पदार्थ आलू को कड़वा बना देता है और शरीर में जाकर पेट दर्द, उल्टी, दस्त, सिर दर्द, थकावट जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। कुछ मामलों में यह न्यूरोलॉजिकल असर भी डाल सकता है, यानि कि तंत्रिका तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
विशेष रूप से ‘सोलनिन’ और ‘चकोनिन’ जैसे दो प्रमुख ग्लाइकोएल्कलॉइड्स आलू के अंकुर, त्वचा और हरे हिस्सों में सबसे अधिक पाया जाता हैं। यह न केवल पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता हैं, बल्कि लंबे समय तक सेवन करने पर लिवर और किडनी तक पर प्रभाव डाल सकता हैं। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह और भी खतरनाक हो सकता है।
अगर ऐसे आलू को फेंकना नहीं चाहते और प्रयोग में लाना ही है, तो एक सावधानी जरूरी है, अंकुर और हरे हिस्सों को पूरी तरह काटकर अलग कर दें। लेकिन ध्यान रखें, अगर आलू बहुत ज्यादा नरम हो गया है या उसमें ज्यादा अंकुर हैं, तो उसे खाना बिल्कुल नहीं चाहिए।
आलू को अंकुरित होने से बचाने के लिए कुछ आसान उपायों को अपनाया जा सकता है। आलू को ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह पर रखना चाहिए। फ्रिज में रखने से भी आलू में ग्लाइकोएल्कलॉइड की मात्रा बढ़ सकता है, इसलिए फ्रिज में रखने से बचना चाहिए। उन्हें प्याज के साथ भी नही रखना चाहिए, क्योंकि इससे वह जल्दी खराब होता हैं।
सेहत को लेकर थोड़ी सी जागरूकता, कभी-कभी बड़ी समस्याओं से बचा सकता है। स्वाद से पहले सेहत का ख्याल रखना श्रेष्कर होता है।