भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक होगी अंतरिक्ष यात्रा

Jitendra Kumar Sinha
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भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहा है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 10 जून को एक अंतरराष्ट्रीय अभियान के तहत अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाले हैं। यह मिशन अमेरिका की निजी अंतरिक्ष कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसका नाम है AX-4 मिशन। इस ऐतिहासिक यात्रा के साथ शुभांशु शुक्ला चार दशक बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सोयूज यान से अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं।

AX-4 मिशन को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से 10 जून 2025 को लॉन्च किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचने का अनुमानित समय 11 जून की रात लगभग 10 बजे (भारतीय समयानुसार) है और यह लगभग 28 घंटे की होगी। इस मिशन का बजट ₹550 करोड़ है (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन - ISRO द्वारा वहन)। इस मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (भारत), स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की (पोलैंड), टिबोर कापू (हंगरी) और पैगी व्हिटसन (संयुक्त राज्य अमेरिका, मिशन कमांडर) शामिल हैं। 

यह अंतरिक्ष यात्रा स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा शुरू किया जाएगा। रॉकेट से स्पेसएक्स ड्रैगन यान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक जाएगा। यात्रा का उद्देश्य केवल अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक शोध और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।

शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान भारत के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक है। यह भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक भागीदारी को मजबूती देती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की यह पहली बार इतनी बड़ी निजी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है। यह मिशन भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगा कि वे भी भविष्य में अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना देख सकते हैं।

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं। वह एक प्रशिक्षित पायलट और वैज्ञानिक हैं, जिन्हें विशेष रूप से अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित किया गया है। उनका चयन कठिन शारीरिक, मानसिक और तकनीकी प्रशिक्षण के बाद हुआ है, जिससे उनकी क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में अपना झंडा गाड़ने को तैयार है। शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उड़ान सिर्फ एक अंतरिक्ष मिशन नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक, तकनीकी और वैश्विक क्षमताओं की नई पहचान है। यह मिशन आने वाली पीढ़ियों के लिए आगे सोचने की प्रेरणा देगा।



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