बाघों की धरती सरिस्का अब वैश्विक नक्शे पर एक नए गौरव के साथ उभरेगी। केन्द्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ऐलान किया है कि दुनिया का “पहला अंतरराष्ट्रीय बाघ संग्रहालय” राजस्थान के अलवर जिला में बनाया जाएगा। यह संग्रहालय न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए बाघों के संरक्षण और उनके ऐतिहासिक महत्व की जीवंत झलक प्रस्तुत करेगा।
यह संग्रहालय कटीघाटी क्षेत्र में प्रस्तावित चिड़ियाघर के पास बनाया जाएगा ताकि पर्यटक एक ही स्थान पर चिड़ियाघर, सरिस्का टाइगर रिजर्व और बाघ संग्रहालय का आनंद ले सके। वर्तमान में चिड़ियाघर की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार किया जा रहा है, और इसके दूसरे चरण में संग्रहालय निर्माण का कार्य शुरू होगा।
अब तक दुनिया में कहीं भी विशुद्ध रूप से बाघों पर केंद्रित कोई संग्रहालय नहीं है। कई प्राकृतिक इतिहास संग्रहालयों में बाघों से संबंधित प्रदर्शनी होती है, लेकिन पूर्ण रूप से टाइगर-थीम आधारित म्यूजियम का विचार पहली बार अलवर में साकार होने जा रहा है।
इस संग्रहालय में बाघों के बारे में जानकारियां और प्रदर्शन होंगे। बाघों की शारीरिक रचना, उनके जीवन चक्र और व्यवहार पर वैज्ञानिक जानकारियां, बाघों के आवास, आदतें और पर्यावरणीय योगदान, बाघ संरक्षण पर भारत और विश्व भर के प्रयासों की प्रदर्शनी, बाघों की खाल, कंकाल, प्राचीन अवशेष और दुर्लभ कलाकृतियां, बच्चों और छात्रों के लिए इंटरएक्टिव डिस्प्ले और डिजिटल अनुभव क्षेत्र।
बढ़ते शहरीकरण, जंगलों की कटाई और शिकार के कारण बाघों की संख्या में भारी गिरावट आई है। ऐसे में यह संग्रहालय लोगों को बाघों के महत्व, उनकी पारिस्थितिकी भूमिका और संरक्षण की आवश्यकता के प्रति जागरूक करेगा। इससे वन्यजीव प्रेमियों और छात्रों को प्रेरणा मिलेगी और "सेव टाइगर" जैसे अभियानों को वैश्विक बल मिलेगा।
राजस्थान पहले से ही अपनी सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस संग्रहालय के बन जाने से अलवर में पर्यटन को नया आयाम मिलेगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगा।
केन्द्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव की इस घोषणा ने न केवल वन्यजीव संरक्षण को एक नई दिशा दी है, बल्कि राजस्थान को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान देने की पहल भी की है। जब यह संग्रहालय आकार लेगा, तो यह निस्संदेह बाघों के प्रति वैश्विक प्रेम और संरक्षण की मिसाल बनेगा।
