भाजपा अध्यक्ष पद की रेस में छह दावेदार, महिला नेता भी शामिल

Jitendra Kumar Sinha
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर हलचल तेज हो गई है। जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है और अब पार्टी नए नेतृत्व की तलाश में जुट गई है। आगामी संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया के तहत नामांकन, जांच और मतदान की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। पार्टी इस बार ऐसे नेता की तलाश में है जो 2029 के आम चुनाव तक भाजपा को नई दिशा दे सके। दिलचस्प बात यह है कि इस दौड़ में छह नेताओं के नाम सबसे आगे चल रहे हैं, जिनमें तीन महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं।


पहला नाम निर्मला सीतारमण का है, जो देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री रह चुकी हैं। उनके पास रक्षा मंत्रालय संभालने का भी अनुभव है। दक्षिण भारत से आने वाली सीतारमण की गिनती तेजतर्रार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य नेताओं में होती है। उनका प्रशासनिक अनुभव और पार्टी के प्रति निष्ठा उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है।


दूसरा नाम डी. पुरंदेश्वरी का है, जो एनटी रामाराव की बेटी हैं और वर्तमान में आंध्र प्रदेश भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष हैं। पार्टी में उनका अनुभव और महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की सोच उन्हें इस दौड़ में अहम बनाती है।


तीसरी महिला नेता वानाथी श्रीनिवासन हैं, जो कोयंबटूर दक्षिण से विधायक हैं और महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं। वे 1993 से पार्टी से जुड़ी हैं और तमिलनाडु में भाजपा के संगठन विस्तार में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है।


पुरुष उम्मीदवारों में सबसे प्रमुख नाम धर्मेंद्र प्रधान का है। वे ओडिशा से आते हैं और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं। प्रधान को पार्टी का रणनीतिकार माना जाता है और उनकी ओबीसी समुदाय में अच्छी पकड़ है, जो उन्हें संगठनात्मक दृष्टिकोण से मजबूत बनाती है।


दूसरे दावेदार हैं शिवराज सिंह चौहान, जो मध्य प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और फिलहाल केंद्रीय मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। उनकी ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत पकड़ और जनाधार उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए उपयुक्त बनाता है।


छठा नाम मनोहर लाल खट्टर का है, जो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और वर्तमान में केंद्र में मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। पार्टी संगठन में उनकी सख्ती और अनुशासन के लिए वे जाने जाते हैं।


भाजपा इस बार क्षेत्रीय संतुलन, संगठनात्मक अनुभव, सामाजिक समीकरण और महिला नेतृत्व जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया में आगे बढ़ रही है। महिला नेताओं को प्रमुखता देने के पीछे पार्टी की यह सोच है कि महिला आरक्षण कानून और महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी को ध्यान में रखते हुए अगर पार्टी महिला अध्यक्ष लाती है, तो यह एक मजबूत राजनीतिक संदेश होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की कमान किसके हाथ में जाती है और वह पार्टी को अगले चुनावों में कैसे दिशा देता है।

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