जन सुराज पार्टी के संस्थापक और अभियान के नेता प्रशांत किशोर ने बिहार की कानून-व्यवस्था और राजनीतिक समन्वय को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अगर चिराग पासवान सचमुच बिहार की चिंता करते हैं, तो उन्हें NDA से बाहर निकल जाना चाहिए — क्योंकि एक ही समय में सरकार का हिस्सा रहकर सरकार की आलोचना करना साफ‑साफ सत्ता के मोह में फँस जाने जैसा है। उन्होंने यह भी कहा, “जो भी बिहार की चिंता करता है, उसे समर्थन से ज्यादा आवाज उठानी चाहिए।”
वहीं तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए, किशोर ने उनकी निंदा “शेर बनकर कहा कि मैं शाकाहारी हूँ” वाली बात से की—संकेत करते हुए कि तेजस्वी की आलोचनाएँ बयानबाज़ी जितनी गंभीर नहीं, बल्कि विरोधाभासी प्रेमवचन से भरी हैं। Tejashwi की कानूनी वादों और RJD शासनकाल को लेकर वोटबैंक-सत्ताकेंद्रित कार्यसाधन पर सवाल उठाया गया।
उन दोनों को आड़े हाथों लेते हुए प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा कि बिहार में बदलावा तभी संभव होगा जब राजनीतिक दलों में स्पष्टता और जवाबदेही होगी — अधीर प्रशंसकों और अस्पष्ट बयानबाज़ियों की नहीं।
