तेजस्वी यादव ने संकेत दिया है कि अगर बिहार में अगली सरकार महागठबंधन की बनती है और वे सत्ता में आते हैं, तो 2016 में लागू किए गए शराबबंदी कानून की समीक्षा की जा सकती है। उनका कहना है कि इस विषय पर समाज के बुद्धिजीवियों, सरकारी अधिकारियों और जनता से बातचीत के बाद निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शराबबंदी के बावजूद राज्य में अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है और इससे कानून-व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है।
तेजस्वी ने दावा किया कि शराबबंदी से सबसे अधिक नुकसान पासी समुदाय को हुआ है, जो पारंपरिक रूप से ताड़ी का व्यवसाय करता था। उन्होंने कहा कि सरकार ने ताड़ी जैसे पेय पर भी प्रतिबंध लगाकर इस समुदाय के रोजगार पर गहरा प्रहार किया है।
वहीं, उन्होंने सरकार पर आर्थिक अनियमितताओं का आरोप भी लगाया। तेजस्वी ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिहार सरकार ₹70,000 करोड़ से अधिक का खर्च प्रमाणित नहीं कर पाई है, जिसे उन्होंने एक "विशाल घोटाला" बताया।
तेजस्वी ने डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी पर भी हमला बोला और कहा कि "अपराधी सरकार चला रहे हैं, विजय और सम्राट बन बैठे हैं।" उन्होंने मौजूदा शासन पर अपराध बढ़ाने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
तेजस्वी का यह बयान आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले शराबबंदी को लेकर उनके रुख में संभावित बदलाव के संकेत देता है। इससे साफ है कि बिहार की राजनीति में शराबबंदी एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है।
