पटना में एक बार फिर उपभोक्ताओं की सेहत के साथ खिलवाड़ करने का मामला सामने आया है। दीघा थाना क्षेत्र में कुछ किराना दुकानों पर ब्रांडेड कंपनी के नाम पर नकली सॉल्ट बेचे जाने की सूचना मिलने के बाद पुलिस और कंपनी अधिकारियों ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर बड़ा खुलासा किया।
मामले की शुरुआत तब हुई जब कंपनी के पदाधिकारियों को शिकायत मिली कि बाजार में उनके ब्रांड नाम से नकली नमक बेचा जा रहा है। जांच के बाद मामला संदिग्ध पाया गया, जिसके बाद कंपनी के अधिकारी चंचल पाल ने दीघा थाना से संपर्क किया। पुलिस और कंपनी प्रतिनिधियों की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छापेमारी की योजना बनाई।
दीघा थाना क्षेत्र के तीन किराना दुकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान पाया गया कि दुकानों में रखे गए नमक के पैकेट पर कंपनी का नाम और लोगो तो था, लेकिन उसकी क्वालिटी और पैकिंग असली उत्पाद से मेल नहीं खा रही थी। मौके से बड़ी मात्रा में नकली नमक जब्त किया गया।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने एक दुकानदार, डोमन कुमार को मौके से गिरफ्तार कर लिया। बाकी दुकानदार फिलहाल फरार बताए जा रहे हैं। पुलिस ने बरामद नमक के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए हैं ताकि इसकी वास्तविक गुणवत्ता और हानिकारक तत्वों का पता लगाया जा सके।
कंपनी के पदाधिकारी चंचल पाल ने इस मामले में तीनों दुकानदारों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। एफआईआर में मिलावटखोरी, धोखाधड़ी और उपभोक्ता हितों के उल्लंघन से जुड़े धाराओं का जिक्र किया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के नकली नमक में मिलाए गए घटक सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। इसमें मौजूद हानिकारक रसायन उच्च रक्तचाप, किडनी और हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है।
दीघा थाना प्रभारी ने बताया कि इस तरह की मिलावटखोरी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और आगे भी नियमित रूप से छापेमारी जारी रहेगी।
पुलिस और कंपनी ने आम उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे नमक या किसी भी खाद्य उत्पाद को खरीदते समय उसकी पैकेजिंग, मैन्युफैक्चरिंग डेट, बैच नंबर और कंपनी के आधिकारिक सील को ध्यान से जांचें। किसी भी संदिग्ध उत्पाद की सूचना तुरंत नजदीकी पुलिस थाने या कंपनी के हेल्पलाइन नंबर पर दें।
नकली नमक का यह मामला न केवल कानून व्यवस्था का विषय है, बल्कि यह आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर खतरा भी है। ऐसे में जरूरी है कि प्रशासन, कंपनियां और उपभोक्ता, सभी मिलकर इस मिलावटखोरी के खिलाफ एकजुट हों।
