बच्चों के कोमल मन में जीवन मूल्यों की समझ और सकारात्मक सोच भरने वाली फिल्म ‘चिड़िया’ का विशेष प्रदर्शन शनिवार को पटना के प्रसिद्ध रीजेंट सिनेमा हॉल में किया गया। इस अवसर पर शहर के कई प्रमुख विद्यालयों के 350 से अधिक छात्र-छात्राओं ने फिल्म का आनंद उठाया और अंत तक भाव-विभोर होकर सीटी और तालियों से प्रतिक्रिया दी।
यह आयोजन बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अंतर्गत बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम द्वारा "हर माह एक फिल्म" अभियान के अंतर्गत किया गया। इस पहल का उद्देश्य बच्चों और युवाओं में गुणवत्तापूर्ण सिनेमा की समझ विकसित करना और फिल्मों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से उन्हें परिचित कराना है।
‘चिड़िया’ सिर्फ एक मनोरंजक बाल फिल्म नहीं है, बल्कि यह एक गहरा जीवनदर्शन समेटे हुए है। यह फिल्म बच्चों को उनके सपनों के पीछे उड़ान भरने के लिए प्रेरित करती है, साथ ही यह भी बताती है कि जीवन केवल परीक्षा में नंबर लाने तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन को जीने की समझ, संवेदनशीलता, प्रकृति से जुड़ाव और रिश्तों की अहमियत भी जरूरी है।
फिल्म में कहानी एक छोटे बच्चे के इर्द-गिर्द घूमती है, जो परंपरागत शिक्षा व्यवस्था से जूझते हुए अपने सपनों की उड़ान भरने का साहस करता है। ‘चिड़िया’ उस हर बच्चे की कहानी है, जो पिंजरे से बाहर निकलकर खुले आसमान में उड़ने की ख्वाहिश रखता है।
फिल्म समाप्त होते ही बच्चों के चेहरों पर कई भाव थे, कुछ भावुक, कुछ प्रेरित और कुछ उत्साहित। बांकीपुर और पटना कॉलेजिएट जैसे प्रतिष्ठित विद्यालयों से आए विद्यार्थियों ने फिल्म को "प्रेरणादायक", "दिल को छूने वाली" और "बिलकुल अलग अनुभव" बताया।
एक छात्रा, श्रेया ने कहा कि "मुझे यह फिल्म बहुत पसंद आई। इससे हमें सिखने को मिला कि जीवन में केवल अच्छे नंबर ही जरूरी नहीं हैं, बल्कि खुश रहना और अपने सपनों को पूरा करना भी जरूरी है।" वहीं एक अन्य छात्र आदित्य ने कहा कि "फिल्म ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हम सच में वही कर रहे हैं जो हमें पसंद है?"
बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के अधिकारियों ने बताया कि 'चिड़िया' जैसी फिल्मों के प्रदर्शन से बच्चों में जीवन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी और वे सिनेमा को सिर्फ मनोरंजन के माध्यम के रूप में नहीं, बल्कि शिक्षाप्रद माध्यम के रूप में भी देख पाएंगे। इस योजना के अंतर्गत हर महीने एक नई प्रेरणादायक फिल्म को विभिन्न स्कूलों के बच्चों के लिए दिखाया जाएगा।
‘चिड़िया’ एक ऐसी फिल्म है जो बच्चों के मन में उड़ान भरने की चाह जगाती है। यह पहल साबित करती है कि सिनेमा अगर सही दिशा में प्रयुक्त हो, तो वह शिक्षा और जीवन के बीच सेतु का काम कर सकता है। बच्चों में ऐसी फिल्मों के प्रति जागरूकता और रुचि बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रयास न केवल सराहनीय हैं, बल्कि समय की मांग भी हैं।
