द्वितीय विश्व युद्ध ने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया था। जर्मनी के हवाई हमले से बचाव के लिए ब्रिटेन ने उस दौर में कई नई सैन्य रणनीतियाँ अपनाईं। इन्हीं रणनीतियों की एक अनोखी मिसाल था “मॉन्सेल सी फोर्ट्स”, जो समुद्र के बीच खड़े स्टील के विशाल प्रहरी टावर था।
सन् 1942-43 के बीच इंजीनियर गाइ मॉन्सेल ने इन किलों का डिजाइन तैयार किया। इन्हें मुख्य रूप से थेम्स और मर्सी एस्चुअरी में स्थापित किया गया, ताकि दुश्मन के विमान और पनडुब्बियां लंदन व अन्य औद्योगिक क्षेत्रों तक न पहुँच सकें। इन टावरों को समुद्र की सतह पर स्टील के खंभों के सहारे खड़ा किया गया और इन्हें हथियारों तथा रडार से लैस किया गया।
युद्ध के समय ये फोर्ट्स ब्रिटेन की वायुसेना और नौसेना के लिए सुरक्षा कवच साबित हुए। कहा जाता है कि इन टावरों से जर्मन हवाई जहाजों को रोकने के लिए लगातार गोलाबारी की जाती थी। इनकी मदद से कई दुश्मन विमानों और विस्फोटक युक्त बैलूनों को नष्ट किया गया। इस प्रकार, मॉन्सेल सी फोर्ट्स ने ब्रिटेन को संभावित बड़े हमलों से बचाने में अहम भूमिका निभाई।
द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद इन किलों का महत्व कम होता चला गया। धीरे-धीरे इन्हें खाली कर दिया गया और ये वीरान खड़े रह गए। समुद्र की तेज हवाओं, लहरों और समय के थपेड़ों ने इनके लोहे के ढांचे को जंग लगा दिया। आज ये टावर जर्जर होकर रहस्यमयी खंडहर जैसे दिखता है।
आज मॉन्सेल सी फोर्ट्स ब्रिटेन की युद्धकालीन स्मृतियों का हिस्सा हैं। दूर से देखने पर ये किसी रहस्यमयी द्वीप जैसा लगता है जो मानो समुद्र की सतह पर तैर रहा हो। पर्यटक नौका यात्रा के जरिए इन्हें करीब से देख देखा जा सकता है और युद्ध के उस दौर की कल्पना कर सकता हैं जब यह टावर ब्रिटेन की रक्षा के प्रहरी बनकर खड़ा था।
हालाँकि इनका सैन्य महत्व अब समाप्त हो चुका है, लेकिन इतिहासकारों और पर्यटकों के लिए यह किला अमूल्य धरोहर हैं। यह याद दिलाते हैं कि किस प्रकार युद्ध के समय विज्ञान और इंजीनियरिंग ने मानव सभ्यता को बचाने में अहम योगदान दिया।
