पीएम मोदी जापान दौरे पर पहुंचे, टोक्यो ने भारत में 68 अरब डॉलर निवेश का किया ऐलान

Jitendra Kumar Sinha
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जापान की राजधानी टोक्यो पहुंचे, जहां वे दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं। यह दौरा कई दृष्टियों से बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव और टैरिफ से जुड़ी खटास के बीच जापान भारत का मजबूत साझेदार बनकर सामने आ रहा है। टोक्यो एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का पारंपरिक स्वागत हुआ और जापान सरकार ने इसे रिश्तों के नए युग की शुरुआत बताया। इस यात्रा के दौरान जापान ने भारत में निवेश को दोगुना करने का बड़ा ऐलान किया है। जापान अगले दस साल में लगभग 10 ट्रिलियन येन यानी करीब 68 अरब अमेरिकी डॉलर भारत में निवेश करेगा। यह निवेश मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर, हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी, क्रिटिकल मिनरल्स और हेल्थकेयर सेक्टर में किया जाएगा। इससे लाखों नई नौकरियों के अवसर बनने और भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलने की उम्मीद है।


प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फूमियो के बीच मुलाकात में सुरक्षा सहयोग भी एक बड़ा एजेंडा है। दोनों देशों के बीच 17 साल पुराने सुरक्षा सहयोग के संयुक्त घोषणा पत्र में संशोधन की योजना है, ताकि रक्षा और सामरिक सहयोग को और मजबूत किया जा सके। इसके तहत साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भी भागीदारी बढ़ाई जाएगी। साथ ही एक नई “आर्थिक सुरक्षा पहल” की शुरुआत होगी, जिसका मकसद सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और दुर्लभ खनिजों की सप्लाई चेन को सुरक्षित करना है। भारत और जापान का मानना है कि इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और सहयोग दोनों देशों को वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति में खड़ा करेंगे।


इस यात्रा का एक और बड़ा पहलू क्वाड देशों के बीच समन्वय को बढ़ाना है। क्वाड में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, और इसका मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है। प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री किशिदा की बैठक में चीन की आक्रामक नीतियों और दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों पर भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है। जापान और भारत दोनों ही चाहते हैं कि क्वाड के माध्यम से लोकतांत्रिक और स्वतंत्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को मजबूत किया जाए।


प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में जापानी उद्योगपतियों और निवेशकों से मुलाकात भी शामिल है। वे भारत में चल रही आर्थिक सुधारों, ‘मेक इन इंडिया’, डिजिटल इंडिया, ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा मिशनों पर विस्तार से जानकारी देंगे। जापानी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और उन्हें भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार, सस्ते वर्कफोर्स और तेजी से विकसित हो रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठाने का आग्रह किया जाएगा।


जापान के साथ भारत के रिश्ते केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और रणनीतिक भी हैं। दोनों देशों के बीच बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से लेकर स्मार्ट सिटी मिशन तक कई संयुक्त परियोजनाएँ चल रही हैं। इसके अलावा दोनों देशों का बौद्ध धर्म से जुड़ा साझा सांस्कृतिक धरोहर का रिश्ता भी हमेशा से विशेष महत्व रखता है। मोदी के इस दौरे को विशेषज्ञ इस लिहाज से भी अहम मान रहे हैं कि यह भारत की विदेश नीति में जापान को केंद्रीय स्थान पर लाने का संकेत है।


कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी का यह जापान दौरा केवल औपचारिक मुलाकात नहीं बल्कि व्यापार, सुरक्षा, तकनीक और वैश्विक राजनीति के बड़े समीकरणों को प्रभावित करने वाला कदम है। जहां एक तरफ अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव है, वहीं जापान ने भारत में निवेश और साझेदारी बढ़ाकर यह संदेश दिया है कि एशिया में भारत-जापान की साझेदारी भविष्य की राजनीति और अर्थव्यवस्था की दिशा तय कर सकती है।

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