16 विशाल स्तंभों वाला स्मारक है - “द क्रॉनिकल ऑफ जॉर्जिया”

Jitendra Kumar Sinha
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जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी की शांत झील के किनारे, केनी हिल की ऊँचाई पर खड़ा है एक ऐसा स्मारक जो इतिहास, धर्म और कला, तीनों का संगम है। यह है “द क्रॉनिकल ऑफ जॉर्जिया”, जिसे 1985 में प्रसिद्ध मूर्तिकार जुराब त्सेरेतेली ने बनाया था। यह स्मारक जॉर्जिया के गौरवशाली अतीत और उसकी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक माना जाता है।

इस स्मारक की सबसे बड़ी विशेषता इसके 16 विशाल स्तंभ हैं। प्रत्येक स्तंभ की ऊँचाई लगभग 30 से 35 मीटर तक है, जो दूर से देखने पर ही मन में श्रद्धा और विस्मय दोनों उत्पन्न करता है।

इन स्तंभों के ऊपरी हिस्से में जॉर्जिया के प्राचीन राजाओं, रानियों और वीरों की जीवंत मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। ये मूर्तियाँ केवल कला नहीं हैं, बल्कि इतिहास का जीवंत अध्याय हैं, जो इस देश की शौर्यगाथा और धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करता है।

स्मारक के निचले हिस्से में मसीह के जीवन से जुड़ी घटनाओं को चित्रित किया गया है। यह दर्शाता है कि जॉर्जिया केवल योद्धाओं का देश नहीं है, बल्कि ईसाई धर्म की गहरी जड़ों वाला राष्ट्र भी है।

कहा जाता है कि जॉर्जिया दुनिया के सबसे पुराने ईसाई देशों में से एक है, और यह स्मारक उसी धार्मिक विरासत को पत्थरों में साकार करता है।

इस स्मारक के शिल्पकार जुराब त्सेरेतेली सोवियत संघ के दौर में एक प्रसिद्ध कलाकार थे। उन्होंने अपनी अनूठी शैली में इस स्मारक को गढ़ा, जिसमें उन्होंने बाइबिल की कथाओं, जॉर्जियाई नायकों और ऐतिहासिक घटनाओं को एक साथ जोड़ा।

उनकी दृष्टि केवल अतीत को दिखाना नहीं था, बल्कि यह संदेश देना था कि “इतिहास केवल याद रखने के लिए नहीं है, बल्कि उससे सीखने के लिए होता है।”

आज “द क्रॉनिकल ऑफ जॉर्जिया” न केवल जॉर्जिया की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है, बल्कि यह त्बिलिसी आने वाले पर्यटकों के लिए सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है।

यहाँ से त्बिलिसी झील का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, जो इस स्थान की सुंदरता को और भी बढ़ा देता है। सूर्योदय या सूर्यास्त के समय, जब सुनहरी रोशनी इन पत्थरों पर पड़ती है, तो ऐसा लगता है मानो इतिहास स्वयं जीवंत होकर बोल रहा हो।

“द क्रॉनिकल ऑफ जॉर्जिया” केवल एक स्मारक नहीं है, बल्कि एक विशाल ग्रंथ है जो पत्थरों पर लिखा गया है। यह बताता है कि किसी राष्ट्र का गौरव उसके इतिहास, धर्म और वीरता में निहित होता है। 16 विशाल स्तंभों में संजोया यह स्मारक आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाता रहेगा कि “जो अपने अतीत को याद रखता है, वही भविष्य को दिशा दे सकता है।”



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