अदृश्य रेशों से बढ़ता खतरा - “ड्रायर” भी फैला रहा है प्रदूषण

Jitendra Kumar Sinha
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हमारे घरों में रोजमर्रा की सुविधाओं के बीच कई ऐसी चीजें हैं जो अनजाने में पर्यावरण के लिए खतरा बन रही हैं। इन्हीं में से एक है “कपड़े सुखाने वाले ड्रायर”। आधुनिक जीवनशैली में ड्रायर का प्रयोग तेजी से बढ़ा है, लेकिन हाल ही में अमेरिका में हुए एक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि ये ड्रायर पर्यावरण में सूक्ष्म रेशों के रूप में भारी मात्रा में प्रदूषण फैला रहे हैं।

ड्रायर के अंदर जब कपड़े घूमते हैं और गरमी के संपर्क में आते हैं, तो उनके रेशे टूटकर हवा में घुल जाते हैं। इन्हें माइक्रोफाइबर कहा जाता है। ये इतने छोटे होते हैं कि नंगी आंखों से देखना लगभग असंभव है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रदूषण प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों की तरह ही पर्यावरण और जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक है।

अमेरिका के डेजर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (Desert Research Institute) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि केवल अमेरिका में ही हर साल लगभग 3,500 मीट्रिक टन सूक्ष्म रेशे ड्रायर वेंट्स के माध्यम से बाहर निकलते हैं। यह मात्रा स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के वजन से लगभग 30 गुना अधिक है। यह आंकड़ा बताता है कि केवल एक देश से निकलने वाला यह प्रदूषण कितना गंभीर है। अगर वैश्विक स्तर पर सभी घरों के ड्रायरों को मिलाकर देखें तो यह मात्रा कई लाख टन तक पहुंच सकती है।

जब ड्रायर से निकलने वाले सूक्ष्म रेशे हवा में फैलते हैं, तो वे वायु प्रदूषण में शामिल हो जाते हैं। ये रेशे हवा के माध्यम से लंबी दूरी तय कर सकते हैं और अंततः नदियों, झीलों और समुद्रों में पहुंच जाते हैं। वहां ये मछलियों और अन्य जलीय जीवों के शरीर में प्रवेश करते हैं। कई शोध बताते हैं कि समुद्री जीवों के पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्म प्लास्टिक और रेशे अब मानव शरीर तक पहुंचने लगे हैं, क्योंकि हम वही समुद्री भोजन खाते हैं।

कॉटन जैसे प्राकृतिक रेशों की तुलना में पॉलिएस्टर, नायलॉन और एक्रिलिक जैसे सिंथेटिक कपड़ों से निकलने वाले सूक्ष्म रेशे ज्यादा खतरनाक हैं। ये प्लास्टिक आधारित होते हैं और आसानी से विघटित नहीं होते। परिणामस्वरूप, यह सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण में बना रहता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाया जा सकता है। ड्रायर मशीनों में उच्च गुणवत्ता वाले फिल्टर लगा कर सूक्ष्म रेशों को बाहर जाने से रोक सकते हैं।  हवा में निकलने वाले वेंट्स की नियमित सफाई करने से रोका जा सकता है। सिंथेटिक कपड़ों के उपयोग को कम करके प्राकृतिक रेशों वाले कपड़े अपनाया जा सकता है। कपड़ों को जहां तक संभव हो, प्राकृतिक तरीके से सुखाया जाए, ताकि ऊर्जा की बचत भी हो और प्रदूषण भी घटे।

ड्रायर सुविधा तो देता है, लेकिन उसके साथ एक अदृश्य खतरा भी लेकर आता है। जिस तरह वाहनों और कारखानों से निकलने वाले प्रदूषण को गंभीरता से लेते हैं, उसी तरह घरों में मौजूद ऐसे छिपे हुए प्रदूषण स्रोतों पर भी ध्यान देना जरूरी है। अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती गई, तो आने वाली पीढ़ियां उस हवा और पानी में सांस लेंगी जो घरों की मशीनों ने दूषित किया होगा।



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