चौदह लाख से भी अधिक दीपों की चमक ने रविवार की शाम को पवित्र नगर को एक सुनहरी नदी में बदल दिया। इस वर्ष के नौवें संस्करण के दीपोत्सव के तहत राम की पैड़ी एवं सरयू नदी के किनारे करीब 26 लाख 17 हजार मिट्टी के दीपक जलाए गए, जिससे एक नया Guinness World Records विश्वव्यापी रिकॉर्ड स्थापित हुआ।
इस आयोजन में 33 हज़ार से अधिक स्वयंसेवक सक्रिय रहे, जिन्होंने बहुत दिन-पहले से तैयारियों में जुटे थे, ताकि हर दीप समान समय पर प्रज्ज्वलित हो सके। दीपोत्सव की यह स्वरूप सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था, सामूहिक प्रयास और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हजारों वर्ष पहले जब यह धरती अंधकार में डूबी थी, तब अयोध्या ने दीपों से आत्मा एवं विश्वास की लौ जलाई थी। यही दीप आज ‘दीवाली’ के रूप में समस्त विश्व में मनाई जाती है। उन्होंने कहा- “सच्चाई को झकझोर सकते हैं लेकिन हरा नहीं सकते”- इस औद्योगिक-सांस्कृतिक युग में भी यह दीपोत्सव हमारे सनातन मूल्यों का प्रतीक है।
इस कार्यक्रम में 2,128 विद्वानों द्वारा एक साथ आरती का अभूतपूर्व समन्वय भी हुआ, जिससे दूसरा रिकॉर्ड भी दर्ज हुआ।
इस तरह, अयोध्या ने न सिर्फ आस्था की एक विशाल ज्योति जलाई है बल्कि यह संदेश भी दिया है कि परंपरा और आधुनिकता, भक्ति और सामूहिकता हाथ में हाथ लेकर चल सकते हैं।
