बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अपने निर्णायक मोड़ पर पहुँच गया है। दूसरे चरण में राज्य के 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान सम्पन्न हुआ। इस चरण में करीब 3 करोड़ 70 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिनमें लगभग 1.90 करोड़ पुरुष, 1.80 करोड़ महिलाएँ और डेढ़ लाख से अधिक प्रथम बार वोट डालने वाले युवा शामिल रहे। शाम तक मतदान प्रतिशत लगभग 63.8% दर्ज किया गया।
इस बार महिलाओं और युवाओं की भागीदारी अभूतपूर्व रही। गया, मधेपुरा, दरभंगा और पूर्णिया जिलों में महिला मतदाताओं का प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा। विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव बिहार की “आधी आबादी” और “नए मतदाता वर्ग” के इर्द-गिर्द घूम रहा है, जो जातिगत सीमाओं से आगे निकलकर विकास, रोजगार और सुरक्षा के मुद्दों पर निर्णय ले रहा है।
राज्य में एनडीए, महागठबंधन और छोटे दलों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। नीतीश कुमार सुशासन और स्थायित्व के प्रतीक के रूप में अपनी सरकार के अनुभव को सामने रख रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव “नए बिहार” की बात करते हुए युवाओं और बेरोजगारी को मुख्य एजेंडा बना चुके हैं। सीमांचल और कोसी क्षेत्र में छोटे दलों की उपस्थिति ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
14 नवंबर को आने वाले परिणाम तय करेगा कि बिहार जातिवादी परंपरा को पुनः दोहराएगा या फिर जनमत, महिला शक्ति और युवा आकांक्षाओं के बल पर एक “नए युग का बिहार” आकार लेगा।
