फिलीपींस का गुलाबी और दुर्लभ ऑर्किड है - “वैलिंग-वैलिंग”

Jitendra Kumar Sinha
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उष्णकटिबंधीय दुनिया में कई ऐसे फूल पाए जाते हैं जो अपनी अनोखी सुंदरता और मनमोहक आकर्षण से लोगों का दिल जीत लेता है। इन्हीं में से एक है ‘वैलिंग-वैलिंग’, जिसे “ऑर्किड की रानी” भी कहा जाता है। यह दुर्लभ और बेहद खूबसूरत ऑर्किड प्रजाति मुख्य रूप से फिलीपींस के गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में पाई जाती है। इसके नाम का अर्थ ही सुंदरता और सौम्यता से जुड़ा हुआ है, और सच में इसके फूलों की कोमलता इसे इस उपाधि के योग्य बनाती है।

‘वैलिंग-वैलिंग’ के फूल किसी भी बगीचे की शोभा बढ़ा सकता है। इसकी पंखुड़ियाँ बड़ी, मोटी और रंग-बिरंगी होती हैं, आमतौर पर गुलाबी, बैंगनी, बैंगनी-गुलाबी और सफेद। इसके फूलों का आकार भी बेहद विशिष्ट होता है, जो इसे अन्य ऑर्किड प्रजातियों से अलग पहचान देता है। फूलों की डिजाइन प्रकृति की कलात्मक क्षमता का अद्भुत उदाहरण है, जहाँ रंग और आकार मिलकर एक आकर्षक दृश्य बनाता है।

इस ऑर्किड की सुगंध बेहद हल्की, मीठी और प्राकृतिक होती है। यह ऐसी खुशबू देती है जो किसी भी वातावरण को शांत और ताजगी से भर दे। कई शोधों में पाया गया है कि ‘वैलिंग-वैलिंग’ की महक मन को शीतलता देती है और तनाव कम करने में भी सहायक होती है। यही कारण है कि इसे सजावट और सुगंधित माहौल बनाने के लिए भी बहुत पसंद किया जाता है।

‘वैलिंग-वैलिंग’ को पनपने के लिए ऊँची आर्द्रता, गर्म वातावरण और अच्छी धूप की आवश्यकता होती है। इसकी जड़ें हवा और नमी में अच्छी तरह फलती-फूलती हैं। मिट्टी की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए ताकि पानी जमा न हो, क्योंकि यह पौधा अत्यधिक पानी सहन नहीं कर पाता है। इसे सँभालना चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन जब यह फूलता है, तो इसकी सुंदरता किसी भी परिश्रम को सार्थक बना देता है।

‘वैलिंग-वैलिंग’ सिर्फ एक फूल नहीं है, बल्कि फिलीपींस की सांस्कृतिक पहचान भी है। इसे देश का राष्ट्रीय फूल माना जाता है और कई धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक कार्यक्रमों में इसकी विशेष भूमिका होती है। कई स्थानीय लोग इसे पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक मानते हैं। फिलीपींस के आदिवासी समुदायों में इस फूल को सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

दुर्भाग्य से यह दुर्लभ ऑर्किड आज विलुप्ति के कगार पर है। जंगलों के कटान और जलवायु परिवर्तन के कारण इसका प्राकृतिक आवास तेजी से घट रहा है। फिलीपींस सरकार और कई अंतरराष्ट्रीय संगठन मिलकर इसके संरक्षण में लगा है। कई कार्यक्रमों के माध्यम से इसे संरक्षित क्षेत्रों में पुनः उगाने और बगीचों में सुरक्षित रूप से पनपाने का प्रयास किया जा रहा है।



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