भारतीय सेना के लिए आधुनिकीकरण में ऐतिहासिक कदम

Jitendra Kumar Sinha
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भारत 21वीं सदी के तीसरे दशक में अपनी सैन्य क्षमता को जिस तीव्रता से आधुनिक बना रहा है, वह न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति-संतुलन को प्रभावित करने वाला है। अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने भारत के लिए दो बड़े रक्षा सौदों को मंजूरी दी है, जिनकी कुल कीमत करीब 823 करोड़ रुपये है। इन सौदों में शामिल हैं जैवलीन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) सिस्टम और एक्सकैलिबर प्रिसिजन आर्टिलरी प्रोजेक्टाइल।

इसी के साथ रूस की ओर से भारत को सबसे उन्नत एसयू-57 पाँचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट देने की पेशकश ने भारतीय वायु शक्ति को एक नया आयाम देने की संभावनाएँ खोल दी हैं।

“जैवलीन मिसाइल” को दुनिया की सबसे प्रभावी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों में गिना जाता है। इसे अमेरिका की कंपनियों रेथियॉन और लॉकहीड मार्टिन ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह मिसाइल ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक पर काम करती है, जिसका सरल अर्थ है, सैनिक मिसाइल को लॉक कर फायर करता है, इसके बाद मिसाइल अपने लक्ष्य को खुद पहचानती और नष्ट करती है। इस क्षमता के कारण इसे आधुनिक युद्ध का गेम-चेंजर माना जाता है।

दुनिया के अधिकतर टैंकों की सबसे कमजोर सुरक्षा उनकी ऊपरी सतह (टॉप आर्मर) होती है। जैवलीन इसी कमजोरी पर सीधा हमला करती है। इसका टॉप-अटैक मोड टैंक के ऊपर से वार करता है, जिससे टैंक का टर्रेट तुरंत नष्ट हो जाता है, अंदर बैठे क्रू की मृत्यु हो जाती है और टैंक पूरी तरह निष्क्रिय। यूक्रेन-रूस युद्ध में जैवलीन मिसाइल की प्रभावशीलता ने इसे विश्वभर में सुर्खियों में ला दिया था।

भारत का सबसे बड़ा सामरिक चुनौतीभरा क्षेत्र है पूर्वी लद्दाख, जहाँ चीन से टकराव के हालात 2020 से बने हुए हैं। लद्दाख में ऑक्सीजन कम, तापमान -25°C से नीचे और ऊँचाई 14,000 फीट से अधिक है। इन कठिन परिस्थितियों में भारी हथियारों और टैंकों का संचालन बेहद मुश्किल होता है। जैवलीन मिसाइल हल्की, पोर्टेबल, दो सैनिकों द्वारा ऑपरेट होने वाली और पहाड़ों में अत्यधिक सटीक होगा। इसलिए यह चीन के टैंक बेड़े और बख्तरबंद वाहनों के खिलाफ “अत्यंत प्रभावी’’ माना जाता है।

जैवलीन मिसाइल  का रेंज- 2.5–4 किमी (नई वर्ज़न में 4 किमी से अधिक), वारहेड- टैंडम HEAT (आर्मर भेदक), मोड- टॉप-अटैक, डायरेक्ट-अटैक, सिस्टम वजन- 22–23 किलोग्राम और विशेषता- फायर-एंड-फॉरगेट है। जैवलीन मिसाइल का उपयोग लद्दाख और अरुणाचल में चीन की आक्रामकता रोकने, राजस्थान और पंजाब में पाकिस्तान के टैंकों के खिलाफ, इन्फैंट्री के युद्ध कौशल को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। यह भारतीय पैदल सेना को आधुनिक युद्ध में अत्यधिक सक्षम बनाएगी।

एक्सकैलिबर एक GPS-गाइडेड प्रिसिजन आर्टिलरी प्रोजेक्टाइल है, जिसे अमेरिका ने अपने M777 होवित्जर गन के लिए विकसित किया है। भारतीय सेना के पास पहले से ही 145 M777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर मौजूद हैं, जिन्हें ऊँचाई वाले इलाकों में आसानी से तैनात किया जा सकता है। 40–45 किमी दूर स्थित लक्ष्य पर 2 मीटर की सटीकता, कोलैटरल डैमेज बेहद कम, दुश्मन की चौकियों, बंकरों एव कमांड पोस्ट को सटीक निशाना, लद्दाख जैसे इलाके में जहाँ सामान्य बारूदी गोले सटीकता खो देता है, एक्सकैलिबर जैसी स्मार्ट प्रोजेक्टाइल भारतीय सेना के लिए वरदान है।

रूस ने घोषणा की है कि वह भारत को एसयू-57 (Su-57) स्टेल्थ लड़ाकू विमान की तकनीक देने के लिए तैयार है। यह प्रस्ताव बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि चीन के पास पहले से ही J-20 स्टेल्थ फाइटर है। पाकिस्तान चीन से J-31 लेने की कोशिश में है। भारत को 5वीं पीढ़ी के फाइटर की आवश्यकता है। 

रूस तकनीक साझा करने के लिए अधिक तैयार रहता है, जबकि अमेरिका और फ्रांस इस मामले में सीमित रहता है। एएमसीए प्रोजेक्ट (भारतीय 5th Gen Fighter) को गति मिल सकता है। भारत को एक ही समय में चीन और पाकिस्तान दोनों से चुनौती मिल सकती है। 

भारत जिस तरह लद्दाख में नई सड़कें, पुल, एयरबेस और हथियार तैनात कर रहा है, वह संकेत है कि भारतीय सेना अब “रिएक्टिव नहीं, प्रिऑक्टिव’’ मोड में है, चीन को हर स्थिति में जवाब देने की क्षमता विकसित कर रही है।

पाकिस्तान के पास पुराने T-80 और अल-खालिद टैंक हैं, जो जैवलीन के सामने कमजोर है। पाकिस्तान की मिसाइल और एयरफोर्स चीन पर निर्भर है। भारत के पास अब और सटीक हथियार होगा। एक्सकैलिबर और जैवलीन दोनों पाकिस्तान की जमीन आधारित क्षमताओं को चुनौती देगा।

भविष्य में भारतीय सेना इस दिशा में आगे बढ़ेगी। सैटेलाइट आधारित हथियार, ड्रोन नियंत्रण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित युद्ध तकनीक। एएमसीए, एसयू-57, तेजस Mk2 जैसे प्रोजेक्ट निर्णायक होगी। एक्सकैलिबर, ब्रह्मोस-जैसी मिसाइलें, स्वॉर्म ड्रोन। चीन सीमा पर तैनाती और हथियार आधुनिकीकरण।थर्मल इमेजर, नाइट विजन, स्मार्ट हेलमेट, पोर्टेबल एंटी-टैंक सिस्टम।

अमेरिका के साथ 823 करोड़ का यह नया रक्षा सौदा और रूस द्वारा एसयू-57 की पेशकश, दोनों मिलकर भारत की लड़ाकू क्षमता में एक ऐतिहासिक छलांग प्रदान करते हैं। जैवलीन मिसाइलें भारत के पैदल सैनिकों को 21वीं सदी के आधुनिक एंटी-टैंक हथियार से लैस कर देगी। एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल भारतीय तोपखाना को सटीकता की नई परिभाषा देगा। एसयू-57 भारतीय वायुसेना को पांचवीं पीढ़ी की शक्ति प्रदान करने का वास्तविक अवसर देगा। भारत अब केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि वह एशिया-प्रशांत में शक्ति-संतुलन का निर्णायक स्तंभ बन रहा है।



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