राजस्थान के डूंगरपुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर सोम नदी के तट पर देवसोमनाथ मंदिर अवस्थित है। देवसोमनाथ मंदिर की खासियत है कि यह बिना किसी निर्माण सामग्री यानि ईट, रेत, सीमेंट के बना हुआ विशाल मंदिर है।
बताया जाता है कि यह मंदिर, विक्रम संवत 12वीं शताब्दी के आसपास बना है। मंदिर श्वेत पाषाण का बना हुआ है। इस मंदिर में तीन द्वार है। एक पूर्व में, दूसरा उत्तर में और तीसरा दक्षिण में हैं। प्रत्येक द्वार पर दो-दो मंजिला झरोखा हैं और गर्भगृह पर ऊंचा शिखर बना हुआ है। गर्भगृह के सामने आठ विशाल स्तम्भों का सभा मंडप है। मंदिर के सभा मंडप से मंदिर में प्रवेश करते समय आठ सीढ़ी नीचे उतरना पड़ता है उसके बाद शिवलिंग आता है। मंदिर के पीछे एक कुण्ड बना हुआ है। इसमें से शिवालय में जल के लिए संगमरमर की नाली स्तम्भों पर बनी हुई थी। मंदिर के निर्माण में कहीं भी ईट, मिट्टी, गारे या चूने का प्रयोग नजर नहीं आता है।
धार्मिक और पुरातात्विक में यहां पर छठी एव सातवीं शताब्दी के पुरास्थल आमझरा, राजकीय संग्रहालय, जूना-महल, उदयविलास पैलेस, विजयगढ़, शिल्प स्थापत्य के अप्रतिम उदाहरण प्रसिद्ध देवसोमनाथ देवालय, वागड़ प्रयाग बेणेश्वर धाम, श्रीनाथजी, गामड़ी देवकी के शिवालय, चाऊदी बोहरा समुदाय की विश्व प्रसिद्ध दरगाह गलियाकोट, शीतलामाता मंदिर, प्राचीन जैन मंदिरों, आशापुरा गामड़ी, विजवामाता, प्रसिद्ध जैन तीर्थ नागफणजी, क्षेत्रपाल खडगवा, सुरपुर के माधवराय मंदिर समूह आदि है।
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