भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में कई सफल प्रयोग करने के बाद पीएसएलवी सी-60 का चौथा चरण, पीओईएम-4 धरती के वातावरण में पुनः प्रवेश किया और अंततः हिंद महासागर की गहराइयों में समा गया। इस प्रकार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्वच्छ अंतरिक्ष और मलबा शमन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए, एक और जटिल मिशन को पूरा किया।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने निकट भविष्य में, अंतरिक्ष में अपनी सेवाएं पूरी कर चुके, उपग्रहों और रॉकेटों के ऊपरी चरण के मलबा को शमन करने की प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए बताया है कि एक मलबा बनकर वर्षों तक चक्कर काटते रहते है जो निरंतर और सुरक्षित अंतरिक्ष मिशन के लिए बड़ा खतरा है, इन मलबों से ऑपरेशनल उपग्रहों के टकराने और मिशन लांच करते समय भी खतरा बना रहता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नेअपने कई उपग्रहों को जीवनकाल पूरा होने के बाद, सुरक्षित धरती के वातावरण में प्रवेश कराकर नष्ट किया है। अब रॉकेट के ऊपरी चरण को भी काफी कम समय के भीतर अंतरिक्ष से हटाना शुरू कर दिया है।
इससे पहले इसरो ने पिछले साल, दूसरी पीढ़ी के उपग्रह कार्टोसैट-2 को पुनः धरती की कक्षा में प्रवेश कराकर एक अंतरिक्षीय मलबे को नष्ट कर दिया था। वर्ष 2023 में भी भारत-फ्रांस की संयुक्त साझेदारी में उष्णकटिबंधीय मौसम के अध्ययन के लिए भेजे गए, मेघा ट्रॉपिक्स उपग्रह को 867 किलोमीटर की ऊंचाई से पुनः धरती के वातावरण में प्रवेश कराकर, इसरो ने एक बड़ा मलबा कम कर दिया था। तब इसरो ने कहा था कि अगर उपग्रह को कक्षा में छोड़ दिया जाता है तो वह 100 साल से अधिक समय तक धरती की कक्षा में चक्कर काटता रहता। एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया के जरिए 18 मैनुवर के बाद, उपग्रह को सुरक्षित महासागर में गिराया गया। उपग्रह को 2011 में तीन साल की सेवाओं के लिए भेजा गया था।
पिछले 30 दिसम्बर 2024 को पीएसएलवी सी-60 से लांच किए गए, स्पेडेक्स मिशन के चौथे चरण पीओईएम-4 के साथ, कुल 24 पे-लोड भेजे गए थे। धरती की 475 किलोमीटर वाली कक्षा में स्पेडेक्स मिशन के प्रयोग हुए और अभी कई प्रयोग होने वाले भी हैं। वहीं पीओईएम-4 को 350 किलोमीटर वाली कक्षा में लाया गया था, जहां लोबिया के बीजों का अंकुरण हुआ और पालक के पौधे उगाए गए। अंतरिक्ष में आंत के जीवाणुओं (गट बैक्टीरिया) और अंतरिक्ष मलबा पकडने वाले रोबोटिक आर्म के परिचालन समेत कई अहम प्रयोग हुए।
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