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बिहार सरकार मुजफ्फरपुर जिला के कुढ़नी प्रखंड में 720 बेड का डॉ. भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय बनाने जा रहा है, जो न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी पहल है, बल्कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी अत्यंत सराहनीय कदम है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए बिहार सरकार की कैबिनेट से 65 करोड़ 80 लाख 11 हजार रुपये की स्वीकृति मिल चुका है। यह राशि राज्य योजना मद से उपलब्ध कराया जाएगा। इस विद्यालय के साथ-साथ कैमूर जिला के अधौरा अंचल के चैनपुर और कोल्हुआ अंचल में भी इसी तरह के विद्यालय बनाया जाएगा।
राज्य सरकार ने इस योजना को 2011 की जनगणना के आधार पर आकार दिया है। जिन प्रखंडों में अनुसूचित जाति की आबादी 5,000 से अधिक है, वहां डॉ. भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय खोला जाएगा। यह निर्णय सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है, जिससे दलित और पिछड़े समुदायों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
वर्तमान में, राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 66 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 25 आवासीय विद्यालय संचालित है। इन विद्यालयों में बच्चों को निःशुल्क आवास, भोजन, पुस्तकें, यूनिफॉर्म और अन्य आवश्यक सुविधाएं दिया जा रहा है। अब सरकार ने 26 नए विद्यालयों की स्वीकृति दी है, जो सभी प्लस टू स्तर तक होंगे। इसका मतलब है कि इन विद्यालयों में 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई किया जाएगा।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हमेशा शिक्षा को समाजिक परिवर्तन का माध्यम माना था। ऐसे में उनके नाम पर बनने वाले यह आवासीय विद्यालय उनके सपनों को साकार करने की दिशा में ठोस प्रयास है। यह पहल उन बच्चों के लिए सुनहरा अवसर होगा जो आर्थिक रूप से कमजोर है, लेकिन शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ना चाहता हैं।
बिहार सरकार की यह योजना न केवल शैक्षणिक ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि सामाजिक समरसता, समान अवसर और समग्र विकास को भी गति देगा। कुढ़नी में बनने वाला 720 बेड का यह आवासीय विद्यालय आने वाले समय में हजारों बच्चों का भविष्य संवारने में सहायक सिद्ध होगा।
