धरती की गहराइयों में छिपा एक स्वच्छ ऊर्जा का खजाना दुनिया के ऊर्जा संकट का समाधान बन सकता है। ऑक्सफोर्ड, डरहम और टोरंटो विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण खोज की है, जिसमें उन्होंने पृथ्वी की क्रस्ट में प्राकृतिक हाइड्रोजन के विशाल भंडार की पहचान की है। यह भंडार अगले 1.70 लाख वर्षों तक मानवता की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, और वह भी बिना किसी कार्बन उत्सर्जन के।
इस खोज के अनुसार, पिछले एक अरब वर्षों में पृथ्वी की क्रस्ट में इतना हाइड्रोजन उत्पन्न हुआ है कि यह मानवता की ऊर्जा जरूरतों को 1.70 लाख साल तक पूरा कर सकता है। यह हाइड्रोजन दो मुख्य प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है:
पहली प्रक्रिया है वॉटर-रॉक रिएक्शन, जिसमें पानी अल्ट्रामैफिक चट्टानों जैसे पेरिडोटाइट के साथ प्रतिक्रिया करता है और हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है। दूसरी प्रक्रिया है रेडियोलिसिस, जिसमें रेडियोधर्मी तत्व जैसे यूरेनियम, थोरियम और पोटैशियम के रेडियोधर्मी विघटन से पानी के अणु टूटकर हाइड्रोजन गैस बनाते हैं। इन प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न हाइड्रोजन चट्टानों में प्रवास करता है और उपयुक्त भूवैज्ञानिक परिस्थितियों में जमा हो जाता है।
वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन के भंडार की पहचान के लिए एक "एक्सप्लोरेशन रेसिपी" विकसित की है, जो चट्टानों के प्रकार, पानी की उपस्थिति, तापमान और भूवैज्ञानिक इतिहास पर आधारित है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस बैलेंटाइन ने इसे सूफले बनाने की प्रक्रिया से तुलना की है, जहां सामग्री, मात्रा, समय और तापमान का सही संयोजन आवश्यक होता है। डरहम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन ग्लूयास ने बताया कि हीलियम की खोज के लिए पहले से विकसित रणनीति को हाइड्रोजन के लिए अनुकूलित किया गया है। टोरंटो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर बारबरा शेरवुड लोलार ने चेतावनी दी कि भूमिगत सूक्ष्मजीव हाइड्रोजन को तेजी से खा लेते हैं, इसलिए ऐसी जगहों से बचना जरूरी है जहां ये जीव सक्रिय हों।
इस खोज ने प्राकृतिक हाइड्रोजन को एक संभावित स्वच्छ और दीर्घकालिक ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया है। वैज्ञानिकों ने इस दिशा में और शोध करने के लिए "Snowfox Discovery Ltd." नामक एक कंपनी की स्थापना की है, जो प्राकृतिक हाइड्रोजन के भंडार की पहचान और निष्कर्षण के लिए काम करेगी। हालांकि, इस हाइड्रोजन के निष्कर्षण के लिए उपयुक्त तकनीकों और अवसंरचनाओं की आवश्यकता है, लेकिन यह खोज ऊर्जा क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर इशारा करती है।
इस प्रकार, पृथ्वी की गहराइयों में छिपा यह हाइड्रोजन का खजाना न केवल ऊर्जा संकट का समाधान प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भविष्य में स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा के स्रोत के रूप में उभर सकता है।