जगदलपुर बस्तर से लगे तेलंगाना में खम्मम जिले के येल्नाडू गांव में हनुमानजी का एक ऐसा मंदिर है, जहां उनका पूजा उनकी पत्नी सुवर्चला के साथ होता हैं।
पराशर संहिता के अनुसार, हनुमानजी ब्रह्मचारी थे। लेकिन उनका विवाह हुआ था। विवाह के बाद भी हनुमान जी ब्रह्मचारी ही रहे।
जहां तक मैं समझता हूं कि यह मंदिर विश्व में इकलौता मंदिर है, जहां हनुमान जी और उनकी पत्नी के साथ विराजित हैं और दोनों की पूजा एक साथ होती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्यदेव हनुमानजी को 9 विद्याओं का ज्ञान देना चाहते थे, लेकिन इनमें चार विवाहित को ही दी जा सकती थी। हनुमान जी जब नहीं माने तो सूर्यदेव ने कहा कि कन्या तप से उत्पन्न होगी और फिर उनके तेज में विलीन हो जाएगी। यह बात सुनकर हनुमानजी मान गए और तब सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चना से उनका विवाह हुआ।
