भारत में ऐसे बहुत से मंदिर है, जहां हनुमान जी की अलग-अलग रूपों में पूजा होती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर रतनपुर के गिरजाबंध स्थित मंदिर में हनुमान जी को पुरुष नहीं बल्कि स्त्री के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में 'देवी' हनुमान की मूर्ति है। जिन्हें चोला नहीं, बल्कि देवी की तरह पूजा किया जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा 10वीं शताब्दी की है।
किंवदंती है कि रतनपुर के तत्कालीन राजा पहथ्वी देवजू कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। एक रात सपने में हनुमान जी आए और मंदिर बनाने का आदेश दिया। कुछ दिन बाद महामाया कुंड से मूर्ति निकालकर स्थापित करने को कहा। जब मूर्ति निकाली गई तो वह स्त्री रूप में थी। फिर इसे मंदिर में स्थापित किया गया।
मंदिर के महंत के अनुसार, जब अहिरावण, श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गए थे और बलि देने की तैयारी कर रहे थे, तो अहिरावण की इष्ट देवी के स्थान पर हनुमान जी प्रकट होते हैं। बलि देने से पहले ही देवी रूपी हनुमान जी अहिरावण की भुजा उखाड़ दी और दोनों को पाताल लोक से मुक्त कराया। उसी देवी स्वरूप की यहां पूजा होती है।
