ब्लैक होल

Jitendra Kumar Sinha
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ब्लैक होल, अंतरिक्ष का एक ऐसा रहस्य है जो न केवल वैज्ञानिकों बल्कि आम लोगों के लिए भी एक चमत्कारी और खौ़फनाक विषय रहा है। यह खगोलीय घटना इतनी रहस्यमय है कि इसे लेकर कई मिथक और अवधारणाएँ प्रचलित हैं। लेकिन विज्ञान ने अब तक इस रहस्यमय विषय पर कई महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किए हैं, जो इसकी वास्तविकता को स्पष्ट करते हैं। तो आइए, जानते हैं ब्लैक होल के बारे में।


ब्लैक होल क्या है?

ब्लैक होल एक ऐसी खगोलीय वस्तु है जिसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी अधिक होती है कि इससे कुछ भी बच नहीं सकता—यहां तक कि प्रकाश भी नहीं। इसका मतलब है कि ब्लैक होल के अंदर किसी भी चीज़ को देखना या महसूस करना असंभव होता है, क्योंकि प्रकाश या कोई अन्य कण उसके प्रभाव से बाहर नहीं निकल सकते।


ब्लैक होल के केंद्र में एक अत्यधिक सघन क्षेत्र होता है, जिसे "सिंगुलैरिटी" कहा जाता है। इसके चारों ओर एक सीमा होती है जिसे "इवेंट होराइजन" कहते हैं। यह वह बिंदु है, जिस तक किसी वस्तु को ब्लैक होल के प्रभाव से बाहर निकलने का मौका होता है। इसके बाद, कुछ भी वापस नहीं आ सकता।


ब्लैक होल कैसे बनता है?

ब्लैक होल का निर्माण तब होता है जब एक विशाल तारे का निधन होता है। जब कोई तारा अपने जीवन के अंतिम चरण में पहुँचता है, तो वह सुपरनोवा नामक विस्फोट से फटता है। इसके बाद, अगर तारे का द्रव्यमान काफी बड़ा हो, तो उसके बाकी बचे हुए भाग में इतनी अधिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति उत्पन्न हो जाती है कि वह अपनी ही संरचना में सिमट जाता है और एक ब्लैक होल का निर्माण होता है।


ब्लैक होल के प्रकार


ब्लैक होल को तीन प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

स्टेलर ब्लैक होल – यह सबसे सामान्य प्रकार का ब्लैक होल है, जो एक बड़े तारे के मरने से बनता है। इसका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान से कई गुना अधिक हो सकता है।

सुपरमासिव ब्लैक होल – ये ब्लैक होल लाखों से लेकर अरबों सूरज के द्रव्यमान के बराबर हो सकते हैं और ये आमतौर पर आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं। हमारी आकाशगंगा मिल्की वे के केंद्र में एक सुपरमासिव ब्लैक होल है, जिसका नाम "सागिटेरियस A*" है।

इंटरमीडिएट ब्लैक होल – यह ब्लैक होल स्टार और सुपरमासिव ब्लैक होल के बीच के आकार में होते हैं। ये अपेक्षाकृत छोटे होते हैं, लेकिन उनके द्रव्यमान में अभी भी एक तारे से बड़ा अंतर होता है।


ब्लैक होल का आकार और संरचना

ब्लैक होल का आकार "इवेंट होराइजन" के दायरे में निर्धारित होता है। इवेंट होराइजन वह सीमा होती है, जिसके पार कुछ भी नहीं जा सकता। लेकिन इसका कोई निश्चित आकार नहीं होता, क्योंकि यह ब्लैक होल के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, एक छोटे ब्लैक होल का इवेंट होराइजन छोटा हो सकता है, जबकि एक सुपरमासिव ब्लैक होल का इवेंट होराइजन कई किलोमीटर या उससे भी ज्यादा बड़ा हो सकता है।


ब्लैक होल के रहस्यों को सुलझाना

ब्लैक होल के बारे में बहुत सी बातें अब भी रहस्यमय हैं। हालांकि, 2019 में वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की पहली तस्वीर ली, जो एक ऐतिहासिक घटना थी। यह तस्वीर "इवेंट होराइजन टेलीस्कोप" (EHT) द्वारा ली गई थी, और इसमें एक सुपरमासिव ब्लैक होल का छायाचित्र दिखाया गया था जो हमारे ग्रह से 55 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।


इसके अलावा, ब्लैक होल से जुड़ी कुछ और अद्भुत बातें भी वैज्ञानिकों ने खोजी हैं, जैसे कि "स्पेस टाइम" की विकृति, जो ब्लैक होल के पास होते हुए महसूस की जाती है। इसे "स्पेस टाइम सिंगुलैरिटी" कहा जाता है, और यह दर्शाता है कि ब्लैक होल के भीतर गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि समय और स्थान का सामान्य नियम भी टूट जाता है।


ब्लैक होल एक रहस्यमय खगोलीय घटना है, जो हमें ब्रह्मांड के अनदेखे पहलुओं को समझने में मदद करती है। विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के कारण हम अब इस रहस्य को थोड़ा-थोड़ा समझने लगे हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ है जो हमें जानने की आवश्यकता है। ब्लैक होल न केवल खगोलशास्त्र बल्कि भौतिकी के लिए भी एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प विषय बना हुआ है, और भविष्य में इससे जुड़े कई और रहस्यों का पर्दाफाश हो सकता है।

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