जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन से जूझ रहे भारत में, बिहार ने एक बेहतरीन मिसाल कायम की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में शुरू किया गया जल-जीवन-हरियाली अभियान अब धरातल पर ठोस परिणाम देने लगा है। पिछले पांच वर्षों में राज्य में 64,000 से अधिक नए जल स्रोतों का निर्माण हुआ है, जिससे न केवल भूजल स्तर में सुधार आया है बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र भी मजबूत हुआ है।
पांच साल में बने 64,098 नए जल स्रोत
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 से अब तक कुल 64,098 नए जल स्रोत बनाए जा चुके हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण विकास विभाग का रहा, जिसने अकेले 55,642 जल स्रोतों का निर्माण किया। इसके अलावा, कृषि विभाग ने 5,607 और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने 2,827 जल संरचनाएं तैयार कीं।
यह आंकड़े बताते हैं कि राज्य सरकार जल संरक्षण को महज़ नारे तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि ठोस योजना के तहत जमीनी काम कर रही है।
पुराने जल स्रोतों का संरक्षण: सरकार की प्राथमिकता
नई संरचनाओं के साथ-साथ पुराने जल स्रोतों का संरक्षण भी अभियान का एक अहम हिस्सा है।
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अब तक 24,448 तालाब और पोखरों का जीर्णोद्धार किया जा चुका है।
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72,868 आहर और पईन को फिर से उपयोग के लायक बनाया गया है।
इन प्रयासों से राज्य में जल स्तर जो कभी लगातार गिर रहा था, अब स्थिर होने के साथ-साथ सुधार की दिशा में भी बढ़ चला है। यह न केवल खेती-बाड़ी के लिए वरदान साबित हो रहा है, बल्कि आसपास की हरियाली को भी नया जीवन मिल रहा है।
जल स्रोतों से सुधरा भूजल स्तर और पर्यावरण
जल स्रोत भूजल पुनर्भरण के सबसे कारगर माध्यम माने जाते हैं। इनके बनने से खेतों में सिंचाई आसान हुई है और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूती मिली है। यह सब जल-जीवन-हरियाली अभियान के कारण ही संभव हो पाया है, जिसका असर अब गांवों और शहरों दोनों जगह महसूस किया जा रहा है।
क्या है जल-जीवन-हरियाली अभियान?
इस अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की जयंती पर की गई थी। इसका उद्देश्य:
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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना
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भूजल स्तर को बनाए रखना
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वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना
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सार्वजनिक जागरूकता लाना
इसके तहत पुराने तालाब, कुएं, आहर-पईन का पुनर्जीवन किया जा रहा है। साथ ही वर्षा जल संचयन के लिए संरचनाएं तैयार की जा रही हैं। किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएं मिल रही हैं, जिससे खेती लागत में भी कमी आई है।
नतीजे आ रहे हैं, और आने वाले समय में और बेहतर होंगे
अब जबकि जल-जीवन-हरियाली अभियान के पांच साल पूरे हो चुके हैं, इसके परिणाम स्पष्ट दिखने लगे हैं। भूजल स्तर में स्थिरता, सिंचाई की सुविधा में सुधार और बढ़ती हरियाली—ये सब संकेत हैं कि बिहार ने पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है।
