बिहार सरकार ने सुनहरे बालू के काले कारोबार पर सख्त लगाम कस दी है। इसके नतीजे अब जमीन पर दिखने लगे हैं। खान एवं भूतत्व विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्व वसूली के मामले में नया कीर्तिमान स्थापित किया है — यह सब मुमकिन हुआ है अक्टूबर 2024 में लागू की गई नई खनन नीति की बदौलत।
💰 लक्ष्य से 14% अधिक राजस्व वसूली — 3569 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक उपलब्धि
राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं खान एवं भूतत्व मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि विभाग ने इस वर्ष 3500 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया था।
सराहनीय बात यह रही कि इसके विरुद्ध 3569 करोड़ रुपये की वसूली की गई — यानी लक्ष्य से 14 प्रतिशत अधिक। यह पिछले पाँच वर्षों में सबसे बड़ी वृद्धि है।
🚫 अवैध खनन पर कसा शिकंजा — अब न बचेगा, न पनपेगा
विजय सिन्हा ने स्पष्ट कहा:
“बालू का अवैध खनन और परिवहन अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
नई नीति के तहत राज्य में पीले और सफेद बालू के अवैध खनन पर न सिर्फ रोक लगी है, बल्कि बालू की अवैध ढुलाई, परिवहन और भंडारण पर भी कड़ा नियंत्रण किया गया है।
🔫 गोलीबारी और हिंसा पर विराम — बालू घाटों में लौटी शांति
नए प्रावधानों के कारण बालू घाटों पर रोज़ाना होने वाली गोलीबारी और हिंसक घटनाओं में भारी कमी आई है। यह बदलाव न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत करता है, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा भावना को भी बल देता है।
🚛 ओवरलोडिंग पर रोक — सड़कों की सेहत में सुधार
ओवरलोड वाहनों पर लगाम लगाने से सड़कों और पुल-पुलियों की स्थिति में सुधार हुआ है। इससे इनकी मरम्मत पर होने वाले करोड़ों रुपये के खर्च में बचत हुई है — सरकार के खजाने को मिली ये राहत किसी बोनस से कम नहीं।
🎯 चुनौती के बावजूद मिली सफलता
बड़ी बात यह रही कि यह लक्ष्य उस समय हासिल किया गया जब 25 प्रतिशत से अधिक संवेदकों ने अपने घाट सरकार को सरेंडर कर दिए थे, जिससे कई घाटों पर खनन संभव नहीं हो सका।
इसके अलावा, पर्यावरणीय नियमों की जटिलता, नो इंट्री, और ट्रैफिक जाम जैसी चुनौतियाँ भी सामने रहीं। फिर भी, नई नीति के सख्त और व्यावहारिक प्रावधानों ने इन अड़चनों के बावजूद रिकॉर्ड वसूली को संभव बनाया।
⚖️ मजिस्ट्रेट की शक्ति, सूचना देने पर इनाम — सिस्टम हुआ सशक्त
खनिज विकास पदाधिकारियों को मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ देकर और बालू माफिया के खिलाफ कार्यवाही को सशक्त बनाकर राज्य सरकार ने एक नया उदाहरण पेश किया है।
साथ ही, अवैध खनन की सूचना देने वालों को पुरस्कार देने की व्यवस्था ने जनसहभागिता को बढ़ावा दिया है और विभाग का काम आसान बनाया है।
🔚 निष्कर्ष: नई नीति, नया बिहार
बिहार की नई खनन नीति सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक विज़न डॉक्युमेंट बनकर उभरी है — जिसने न सिर्फ अवैधताओं पर रोक लगाई, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी है।
