वक्फ संशोधन बिल पर जदयू का समर्थन, पार्टी में मचा घमासान — नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया ने बढ़ाई हलचल

Jitendra Kumar Sinha
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पटना। वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। जदयू द्वारा संसद में इस बिल का समर्थन करने के बाद पार्टी के अंदर ही असहमति की आवाजें उठने लगी हैं। कई कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी, जिससे पार्टी में आंतरिक कलह की स्थिति बन गई है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी और मुस्कराहट भरी प्रतिक्रिया ने सियासी हलचलों को और हवा दे दी है।


क्या है मामला?

जदयू ने हाल ही में संसद में पेश किए गए वक्फ संशोधन बिल 2025 का समर्थन किया है। इस बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय के एक बड़े तबके में नाराजगी देखी जा रही है। पार्टी के कई मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही है। हालांकि जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने इन इस्तीफों को 'फर्जी' करार दिया है। उन्होंने कहा, "ये लोग पार्टी के अधिकृत पदाधिकारी नहीं हैं। जदयू का हर सच्चा कार्यकर्ता NDA के फैसले के साथ है। ये कानून गरीब मुस्लिमों के हित में है।"


नीतीश कुमार की 'मुस्कराहट भरी चुप्पी'

जब मीडिया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मुद्दे पर सवाल किया तो उन्होंने सीधे कुछ नहीं कहा, बस मुस्कराकर रह गए। उनकी यह प्रतिक्रिया अपने आप में बहुत कुछ कह रही थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश फिलहाल केंद्र से टकराव नहीं चाहते और भाजपा के साथ गठबंधन की मजबूरी में ये समर्थन दिया गया है।


विपक्ष का वार

विपक्षी दल राजद ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया है। राजद प्रवक्ताओं ने इस्तीफा देने वाले कार्यकर्ताओं के वीडियो साझा करते हुए जदयू पर तंज कसा है। उन्होंने पूछा कि क्या जदयू अब अपने पुराने सामाजिक आधार को छोड़कर सिर्फ सत्ता की राजनीति कर रही है? तेजस्वी यादव ने भी कहा, "नीतीश जी अब भाजपा की राह पर चल पड़े हैं, उन्हें अब अल्पसंख्यकों की चिंता नहीं रही।"


बिल के प्रभाव पर सवाल

वक्फ संशोधन बिल को लेकर कई मुस्लिम संगठनों ने चिंता जताई है। उनका मानना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाने का रास्ता खोलता है, जिससे मुस्लिम समाज की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है।




वक्फ बिल पर जदयू का समर्थन, एक ओर NDA के साथ मजबूती को दर्शाता है, तो दूसरी ओर पार्टी के भीतर और मुस्लिम समुदाय में बेचैनी का कारण बन गया है। नीतीश कुमार की ‘मौन मुस्कराहट’ यह संकेत देती है कि वो अभी इस मुद्दे पर खुलकर कुछ कहने के मूड में नहीं हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार की राजनीति में और भी बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है।

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