मनोज कुमार का 87 वर्ष की उम्र में निधन

Jitendra Kumar Sinha
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भारतीय सिनेमा ने आज अपना एक अमूल्य रत्न खो दिया। देशभक्ति फिल्मों के पर्याय और 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर दिग्गज अभिनेता व फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का निधन हो गया है। वे 87 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने और लिवर से जुड़ी जटिलताओं के कारण हुई।




देशभक्ति के प्रतीक बने ‘भारत कुमार’

मनोज कुमार का करियर उन फिल्मों से पहचाना जाता है, जिनमें उन्होंने देशभक्ति की भावना को परदे पर जीवंत कर दिया। 'शहीद' (1965), 'उपकार' (1967), 'पूरब और पश्चिम' (1970) जैसी फिल्मों में उनका अभिनय न केवल प्रभावशाली था, बल्कि युवाओं के दिलों में देश के प्रति गर्व की भावना भी भरता था।

उन्होंने न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि 'रोटी कपड़ा और मकान' (1974) और 'क्रांति' (1981) जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया, जो सामाजिक और राजनीतिक संदेशों से भरपूर थीं।




पूरा देश शोक में डूबा, श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़

उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा:

"मनोज कुमार जी का जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से देशप्रेम को जन-जन तक पहुँचाया। ईश्वर उनके परिवार और प्रशंसकों को यह दुख सहन करने की शक्ति दे।"

 



कला के साथ देशसेवा का जज़्बा

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को अब्बटाबाद (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। भारत विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आया। फ़िल्मों में उनका करियर छोटे रोल से शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने जल्द ही अपने अभिनय और फिल्म निर्माण की अनोखी शैली से अलग पहचान बना ली।




सम्मान और उपलब्धियाँ

मनोज कुमार को उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार और फ़िल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले। उनका नाम हमेशा उन कलाकारों की सूची में रहेगा जिन्होंने सिनेमा के माध्यम से समाज को दिशा देने का कार्य किया।




अंतिम विदाई

उनका अंतिम संस्कार आज मुंबई में किया जाएगा, जहाँ परिवार, प्रशंसक और बॉलीवुड जगत के लोग उन्हें अंतिम विदाई देंगे।




"भारत" अब चुप है, लेकिन उनकी आवाज़ गूंजती रहेगी...

मनोज कुमार सिर्फ अभिनेता नहीं थे — वे विचार थे, भावना थे, और एक युग थे। उनकी फ़िल्में आज भी देश के युवाओं में प्रेरणा जगाती हैं। वे भले ही अब हमारे बीच न हों, लेकिन उनका सिनेमा और उनका संदेश हमेशा जीवित रहेगा।


श्रद्धांजलि भारत कुमार 🙏

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