बिहार की राजनीति में हाल ही में उथल-पुथल मची हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। पहले मोहम्मद कासिम अंसारी और अब शाहनवाज मलिक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। शाहनवाज मलिक जमुई जिले के जेडीयू अध्यक्ष और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव थे। उन्होंने अपने इस्तीफे का मुख्य कारण पार्टी द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन बताया है।
शाहनवाज मलिक ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि पार्टी के इस कदम से वे असहमत हैं और इसलिए सभी पदों से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि उनकी तरह लाखों कार्यकर्ता पार्टी के इस निर्णय से निराश हैं। इस्तीफे की प्रति उन्होंने जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ अंसारी को भी भेजी है।
यह घटनाक्रम जेडीयू के लिए चिंता का विषय है, खासकर जब अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं का पार्टी से मोहभंग हो रहा है। वक्फ संशोधन विधेयक पर पार्टी के रुख से असहमति जताते हुए नेताओं का इस्तीफा देना संकेत देता है कि पार्टी के भीतर मतभेद उभर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और क्या कदम उठाते हैं ताकि पार्टी में एकता बनी रहे और आगे कोई और इस्तीफे न हों।
राजनीति में असहमति और इस्तीफे नए नहीं हैं, लेकिन जब वे एक के बाद एक होते हैं, तो यह पार्टी की स्थिरता पर सवाल खड़े करता है। जेडीयू को अब अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद बढ़ाने और उनकी चिंताओं को समझने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके।
