रामायण में मल्टीवर्स का रहस्य: जब एक नहीं, कई ब्रह्मांडों का हुआ उल्लेख

Jitendra Kumar Sinha
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क्या है "मल्टीवर्स"?

"मल्टीवर्स" का मतलब है – कई समानांतर ब्रह्मांडों का अस्तित्व, जहाँ हर ब्रह्मांड में घटनाएं अलग-अलग ढंग से घटती हैं। आज का विज्ञान इस विचार को खोजने में जुटा है, लेकिन भारतीय दर्शन और वेदांत इसे हजारों साल पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।




हनुमान और राम के कई रूपों का वर्णन

वाल्मीकि रामायण में एक प्रसिद्ध प्रसंग आता है जहाँ हनुमानजी को अपने पराक्रम की सीमा नहीं पता होती। कहा जाता है कि जब हनुमानजी लंका में सीता माता से मिलने जाते हैं, तो उन्हें माता सीता आश्वस्त करती हैं कि उनका कार्य सिर्फ इसी लोक तक सीमित नहीं है।


एक अद्भुत जनश्रुति (अप्रमाणिक लेकिन लोकप्रिय कथा) है — जब हनुमानजी ने एक विशेष ध्यानावस्था में भगवान राम के नाम का जप करते हुए दशरथ पुत्र राम के कई रूपों को देखा। हर रूप में राम, सीता और लक्ष्मण कुछ अलग स्थिति में थे — कुछ जगह रावण युद्ध में मारा जा चुका था, कुछ जगह वह क्षमा मांग चुका था।


इसका अर्थ यही है कि हर संभावना के साथ एक ब्रह्मांड जुड़ा है, और हनुमान जैसे तपस्वी इस दृष्टि को पा सकते हैं।




योगवशिष्ठ में मल्टीवर्स की चर्चा

रामायण से जुड़ा एक ग्रंथ है – योगवशिष्ठ, जिसमें श्रीराम और ऋषि वशिष्ठ के संवादों में कई ब्रह्मांडों और काल-चक्रों का विस्तार से वर्णन है।


ऋषि वशिष्ठ कहते हैं:

"ब्रह्मांड असंख्य हैं, और हर ब्रह्मांड में आत्मा की यात्रा अलग है।"


एक कथा में श्रीराम एक ध्यानावस्था में जाते हैं और एक ऐसे लोक में प्रवेश करते हैं जहाँ वे स्वयं एक ब्राह्मण हैं, और लक्ष्मण उनके गुरुभाई हैं! वहाँ पर रामायण की घटनाएं कुछ अलग तरह से घटती हैं।


यह दर्शाता है कि समय, स्थान और आत्मा की सीमाएं ब्रह्मांड तक सीमित नहीं हैं।




आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मल्टीवर्स

भारतीय दर्शन यह मानता है कि "सृष्टि केवल वही नहीं जो आँखों से दिखे, बल्कि वह भी है जो चेतना से अनुभव की जाए।" रामायण जैसे ग्रंथों में जब भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमान या ऋषि वशिष्ठ किसी विशेष स्थिति या ज्ञान की अवस्था में होते हैं, तो वे उन अन्य लोकों को भी देख सकते हैं जहाँ घटनाएं भिन्न होती हैं।




रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव चेतना की सीमाओं को चुनौती देने वाली गूढ़ संहिता है। "मल्टीवर्स" जैसा आधुनिक विज्ञान का विचार हमारे ऋषियों ने पहले ही अनुभव किया और उसे कथाओं के रूप में संरक्षित किया।


तो अगली बार जब कोई पूछे कि मल्टीवर्स पहली बार किसने बताया — तो बताइए, “वाल्मीकि से पहले किसी ने नहीं सोचा था कि हर संभव कहानी, कहीं न कहीं घट रही है।”



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