अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध को और तेज़ करते हुए चीनी आयात पर 104% का भारी-भरकम टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने मंगलवार को घोषणा की कि यह टैरिफ बुधवार से प्रभावी होगा, क्योंकि चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए अपने 34% जवाबी शुल्क हटाने से इनकार कर दिया था।
इस कदम से अमेरिकी छोटे व्यवसायों पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। उदाहरण के लिए, इडाहो स्थित हार्कला कंपनी के मालिक केसी एम्स को अब अपने उत्पादों के आयात पर $26,000 की बजाय $346,000 का टैरिफ चुकाना होगा, जिससे उनकी कंपनी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
चीन ने इस टैरिफ वृद्धि को "ब्लैकमेल" करार देते हुए कहा है कि वह "अंत तक लड़ने" के लिए तैयार है और अमेरिका के इस कदम का कड़ा जवाब देगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, कई देशों ने अमेरिका से टैरिफ में छूट की मांग की है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप अपने निर्णय पर अडिग हैं। उन्होंने कहा है कि ये टैरिफ अमेरिकी कामगारों के हित में हैं और अमेरिका को अपनी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस व्यापार युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव निकट भविष्य में वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित करेगा।
