भारत ने सीजफायर के माध्यम से दिया विश्व को संदेश - भारत आयातक नहीं - निर्यातक भी हैं

Jitendra Kumar Sinha
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आज विश्व राजनीति बहुपक्षीय चालों से भर गई है, भारत की रणनीतिक चेतना और जवाबदेही दोनों ही नये युग में प्रवेश कर चुकी है। पहलगाम की घटना भारत के लिए सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं दिखता है, बल्कि यह एक वैश्विक साजिश की पहली परत लगता है। क्योंकि भारत ने सिर्फ यह नहीं देखा कि गोली किसने चलाई, बल्कि यह भी देखा कि ट्रिगर पर उंगली किसकी थी। पहलगाम में मारे गए निर्दोषों के खून में सिर्फ पाकिस्तानी बारूद नहीं था, उसमें तुर्की की महत्वाकांक्षा, चीन की कुटिलता, अमेरिका की चालाकी और ब्रिटेन की विवशता भी दिखाई दे रही है। क्योंकि चीन को लग रहा था कि भारत इंडस्ट्री हब बन रहा है, वहीं तुर्की इस्लामिक पुनर्जागरण का झंडाबरदार बनना चाह रहा है, अमेरिका व्यापार समझौतों में भारत पर दबाव बनाना चाह रहा है, और ब्रिटेन चाहता है कि मुक्त व्यापार समझौता (FTA) से पहले भारत कमजोर दिखे और इसका मोहरा बना पाकिस्तान।

ऐसा लगता है कि भारत के खिलाफ साजिश में, पाकिस्तान को आगे किया गया ताकि भारत बदले में युद्ध करे और फिर वैश्विक खेल शुरू हो जाए।  यदि  भारत युद्ध शुरू करता तो वैश्विक खेल में यह कहा जा सकता था कि भारत ने संयम नहीं रखा,  अब शांति खतरे में है……..। फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर शोर मचता कि भारत आक्रामक है और असंयमी है।

भारत ने सिर्फ जवाब नहीं दिया, बल्कि विश्व को संदेश दिया कि भारत केवल आयातक नहीं, अब निर्यातक भी हैं, रणनीति के मोहरे नहीं, खुद ‘खिलाड़ी’ भी हैं और डरते नहीं, निर्णय करते हैं। यह तब संभव हुआ जब  रक्षा अनुसन्धान एव विकास संगठन (DRDO), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (हाल),  Adani Defence, और Bharat Forge ने मिलकर ऐसा Swadeshi Defence Ecosystem खड़ा किया और इसे देखकर दुश्मनों के होश उड़ गए।

भारत की यह निर्भीकता पहली बार नहीं हुई है बल्कि इससे पहले  कोविड महामारी के समय भी जब पूरी दुनिया चाहती थी कि भारत फार्मा कॉलोनियलिज़्म को स्वीकार करे, तो भारत ने वैक्सीन बनाई, खुद इस्तेमाल किया और दर्जनों देशों को दी, लेकिन झुके नहीं, बिके नहीं और यही  मानसिक अब रक्षा क्षेत्र में दिखाई दी है। भारत के तेजस ने दुनिया को अपनी क्षमता दिखाई, अर्जुन टैंक अब बांग्लादेश नहीं, यूरोप को रिझा रहा है और AK-203 तथा ब्रह्मोस जैसी परियोजनाएं भारत को रक्षा निर्यातक बनाने की दिशा में बढ़ रही हैं। इसे कहा जा सकता है कि भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा हैं।

जैसे ही भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई शुरू किया वैसे ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक सीजफायर (ceasefire) का ऐलान कर दिया और पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को पांच बार ‘Thank You’ कहा, जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुप रहे, क्योंकि उन्हें खेल का सच पता था। ऐसे ही चुप्पी को कहा जाता है कि जैसे शेर शिकार के बाद चुपचाप जंगल की गहराई में चला जाता है।

मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत में गठबंधन की सरकार नहीं बने बल्कि स्वतंत्र नेतृत्व वाली सरकार बने ताकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति स्पष्ट रखा जा सके, ढाई मोर्चे पर युद्ध की तैयारी किया जाना चाहिए और हाइब्रिड युद्ध (साइबर, इनफॉर्मेशन, सैटेलाइट) में प्रभुत्व बढ़ाना चाहिए, हर क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ हो और रक्षा, स्पेस, टेक्नोलॉजी में स्वदेशीकरण किया जाए। भारत की नीति यह होनी चाहिए कि भारत रक्षा में आत्मनिर्भर हो, कूटनीति में निर्णायक भूमिका हो, अर्थव्यवस्था में अग्रणी हो और विश्वगुरु के पथ पर चल पड़े। 

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