रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक और भयावह मोड़ ले लिया है। रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया है, जिसमें 367 मिसाइलें और ड्रोन दागे गए। इस हमले में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई, जिनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं, और दर्जनों लोग घायल हुए हैं।
यूक्रेन की वायुसेना ने दावा किया है कि उसने रूस के 266 ड्रोन और 45 मिसाइलों को मार गिराया, लेकिन इसके बावजूद भारी नुकसान हुआ है। कई रिहायशी इमारतें और अपार्टमेंट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। राजधानी कीव समेत दक्षिणी शहर मिकोलाइव में भारी तबाही देखने को मिली है।
रूस की ओर से भी दावा किया गया कि उसने यूक्रेन द्वारा भेजे गए 95 ड्रोन को नष्ट किया, जिनमें से 12 मॉस्को के पास रोके गए। हमलों के ठीक पहले तुर्की में रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के बीच शांति वार्ता हुई थी, लेकिन यह बातचीत सिर्फ दो घंटे चली और किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस हमले के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सीधे तौर पर निशाने पर लिया। जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की निष्क्रियता व्लादिमीर पुतिन को और अधिक आक्रामक बना रही है। उन्होंने सवाल किया कि क्या रूस के ऐसे आतंकी हमले पर्याप्त नहीं हैं कि उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए जाएं?
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब रूस और यूक्रेन के बीच कैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया चल रही थी। दोनों देशों ने हाल ही में 1,000-1,000 कैदियों की अदला-बदली की है, जो युद्ध के दौरान अब तक की सबसे बड़ी अदला-बदली मानी जा रही है।
इस हमले ने युद्ध को और भी जटिल बना दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। यूक्रेन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों से रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग की है, ताकि ऐसे हमलों को रोका जा सके।