देश में कृषि और शोध को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने कैबिनेट बैठक में आगरा में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र की स्थापना को मंजूरी दी है। इस फैसले से न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत में आलू उत्पादन, संरक्षण और अनुसंधान को नई दिशा मिलेगी।
कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में तीन बड़े फैसलों पर मुहर लगी है, आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रस्ताव, पुणे मेट्रो फेज-2 को मंजूरी, और आलू केंद्र की स्थापना। इसके साथ ही एक और अहम घोषणा उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में 417 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर की भी हुई है।
आगरा में बनने वाला यह केंद्र न सिर्फ देश बल्कि दक्षिण एशिया में भी एक मॉडल संस्थान के रूप में कार्य करेगा। यहां आलू की नई-नई किस्मों पर शोध होगा, किसानों को आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जाएगी और आलू के भंडारण से लेकर मूल्यवर्धन तक की संपूर्ण प्रक्रिया पर काम होगा।
इस केंद्र के जरिए छोटे और सीमांत किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है, लेकिन भंडारण और प्रोसेसिंग में अभी भी चुनौतियां हैं। यह केंद्र इन्हीं कमियों को दूर करेगा।
कैबिनेट बैठक में आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर एक कड़ा प्रस्ताव पारित किया गया। 1975 में लगाए गए आपातकाल को “लोकतंत्र की निर्मम हत्या” बताया गया और इसकी निंदा करते हुए यह दोहराया गया कि भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं को कोई भी ताकत कुचल नहीं सकती।
शहरों के विकास की दिशा में एक और अहम फैसला लिया गया। पुणे मेट्रो के फेज-2 को मंजूरी दे दी गई है, जिससे शहर में यातायात की समस्याओं को कम करने में मदद मिलेगी। यह परियोजना शहरी परिवहन को टिकाऊ और सुगम बनाएगी।
कैबिनेट ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के सफल मिशन की सराहना करते हुए एक स्वागत प्रस्ताव भी पारित किया। इससे भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति को बल मिलेगा और युवाओं को विज्ञान और तकनीक में प्रेरणा मिलेगी।
आगरा में बनने जा रहा अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि से जुड़े सभी वर्गों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। कैबिनेट के ये फैसले भारत के लोकतंत्र, विज्ञान और विकास की दिशा में एक सशक्त संदेश दे रहे हैं कि अब देश केवल समस्याओं का समाधान नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
