मुंबई जैसे महानगर में जहां कंक्रीट का जंगल दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, वहीं गौराई गांव के पास बना मैंग्रोव पार्क हरियाली की एक नई उम्मीद लेकर आया है। 8 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह पार्क ना केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि शहरवासियों को प्रकृति से जुड़ने का एक शानदार मौका भी देता है।
इस मैंग्रोव पार्क की सबसे बड़ी विशेषता इसकी प्राकृतिक जैव विविधता है। पार्क के बीचोंबीच बना 750 मीटर लंबा लकड़ी का वॉकवे लोगों को मैंग्रोव के घने जंगलों के बीच से गुजरने का अनूठा अनुभव कराएगा। यहां चलते हुए न सिर्फ विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों को करीब से देखा जा सकता है, बल्कि कई प्राकृतिक पक्षियों और जीव-जंतुओं की झलक भी मिलता है।
मैंग्रोव वृक्षों की खासियत यह है कि ये खारे पानी में भी जीवित रहता हैं और समुद्री तटीय इलाकों में बाढ़ और कटाव को रोकने में मदद करता हैं। इन वृक्षों का संरक्षण तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत आवश्यक है। गौराई गांव में यह पार्क एक "हरित अवरोध" के रूप में कार्य करेगा, जो समुद्र से आने वाले तूफानों और पर्यावरणीय असंतुलन से शहर की रक्षा करेगा।
मुंबई जैसे भागदौड़ वाले शहर में जहां लोगों को सुकून के पल ढूंढना मुश्किल होता है, वहां यह मैंग्रोव पार्क एक शांति और सुकून का द्वीप साबित हो सकता है। यहां परिवारों के लिए पिकनिक स्पॉट, बच्चों के लिए प्रकृति से जुड़ने की जगह और बुजुर्गों के लिए ताजगी देने वाला वातावरण मौजूद होगा।
पार्क को केवल एक पिकनिक स्थल न मानें, यह शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। पर्यावरण शिक्षा, जैव विविधता संरक्षण और मैंग्रोव इकोसिस्टम को लेकर यहां कार्यशालाएं और गाइडेड टूर की योजना है। यह छात्रों, शोधकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक जीवंत प्रयोगशाला के रूप में कार्य करेगा।