2036 ओलिंपिक की मेजबानी की दौड़ में शामिल भारत को उस समय बड़ा झटका लगा जब अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (IOC) की नई अध्यक्ष कर्स्टी ने अचानक पूरी बोली प्रक्रिया पर ‘अस्थायी विराम’ लगाने की घोषणा कर दी। भारत, खासकर अहमदाबाद को लेकर सरकार और ओलिंपिक संघ लंबे समय से इस आयोजन की तैयारी में जुटे थे, लेकिन इस फैसले ने फिलहाल सारी उम्मीदों को अधर में लटका दिया है।
IOC की पहली महिला और अफ्रीकी अध्यक्ष बनीं पूर्व ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता तैराक कर्स्टी कोवेंट्री ने पदभार संभालने के तुरंत बाद गुरुवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह अहम ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सदस्य देशों के बीच इस बात पर आम सहमति है कि बोली प्रक्रिया को पुनः मूल्यांकन की आवश्यकता है। इसलिए ‘2036 ओलिंपिक मेजबानी प्रक्रिया’ को फिलहाल रोक दिया गया है।
कर्स्टी ने बताया कि एक विशेष कार्य समूह गठित किया गया है जो मेजबान देश चुनने की प्रक्रिया की समीक्षा करेगा और यह तय करेगा कि सही समय पर निर्णय कैसे और कब लिया जाए। समिति का उद्देश्य प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, न्यायसंगत और सहभागी बनाना है ताकि किसी भी पक्ष को पक्षपात या पूर्वग्रह का अनुभव न हो।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में ओलिंपिक 2036 की मेजबानी के लिए अहमदाबाद को केंद्र मानकर जोरदार तैयारी शुरू की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं IOC सत्र 2023 में भारत की दावेदारी की घोषणा की थी। ‘स्पोर्ट्स हब’, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, अंतरराष्ट्रीय संबंध और खेल कूटनीति के मोर्चे पर भारत आक्रामकता से आगे बढ़ रहा था। लेकिन अब इस रोक के कारण भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। यह ना केवल राजनयिक और प्रतिष्ठा से जुड़ा मसला है, बल्कि अरबों रुपये के निवेश और भावनात्मक जुड़ाव का विषय भी बन चुका है।
भारत के अलावा इंडोनेशिया, सऊदी अरब, तुर्की और कतर जैसे देशों ने भी 2036 की मेजबानी में दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन अब ये सभी देश अनिश्चितता की स्थिति में हैं। कार्य समूह की रिपोर्ट आने और IOC द्वारा नई समय सीमा जारी होने तक सब कुछ थमा गया है।
भारत को अभी धैर्य से अगली IOC घोषणाओं का इंतजार करना होगा। भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) और खेल मंत्रालय को न केवल कार्य समूह से संवाद बनाए रखना होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लॉबिंग को भी जारी रखना होगा। ओलिंपिक की मेजबानी केवल खेल आयोजन नहीं है बल्कि वैश्विक नेतृत्व और क्षमता प्रदर्शन का प्रतीक होता है, और भारत इस दौड़ से पीछे हटना नहीं चाहेगा।
2036 ओलिंपिक की मेजबानी को लेकर भारत की उम्मीदों को अभी भले ही झटका लगा हो, लेकिन खेल जगत में धैर्य और रणनीति ही असली जीत की कुंजी है। भारत के पास अब भी मौका है, बशर्ते वह अगले चरण के लिए खुद को और बेहतर तैयार करे।
