राजधानी पटना में फर्जी तरीके से वाहनों पर ‘प्रेस’ लिखा स्टीकर लगाकर खुलेआम घूमने वालों की अब खैर नहीं। पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्तिकेय शर्मा ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है।
उन्होंने कहा कि बीते कुछ दिनों में जब पुलिस ने कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार किया, तो उनके वाहनों पर प्रेस का स्टीकर लगा पाया गया। इससे साफ होता है कि अपराधी पुलिस की आंखों में धूल झोंकने और बिना जांच के निकल भागने के लिए ‘प्रेस’ का फर्जी इस्तेमाल कर रहा हैं।
एसएसपी श्री शर्मा के अनुसार, हाल ही में पकड़े गए कई अभियुक्तों के पास से बरामद मोटरसाइकिलों और स्कूटी पर ‘PRESS’ लिखा हुआ पाया गया। इससे यह संकेत मिलता है कि अब अपराधी पत्रकारिता की आड़ में पुलिस से बच निकलने की चाल चल रहा हैं।
एक बड़ा उदाहरण मरीन ड्राइव की घटना है, जहां कुख्यात अपराधी मो. राजा को पुलिस ने मुठभेड़ में घायल कर दबोचा। उसकी स्कूटी पर भी ‘प्रेस’ लिखा हुआ था। यह देखकर पुलिस महकमे में चिंता की लहर दौड़ गई।
एसएसपी ने पटना के सभी थानाध्यक्षों को सख्त निर्देश दिया हैं कि जिन वाहनों पर ‘प्रेस’ या ‘पुलिस’ लिखा हुआ हो, उनकी विशेष जांच की जाए। यदि वाहन चालक खुद को पत्रकार बताता है, तो उससे प्रेस आईडी कार्ड, संस्था का प्रमाण-पत्र या अन्य प्रामाणिक दस्तावेज मांगे जाएं। यदि दस्तावेज नहीं दिए जाते हैं या संदेहास्पद प्रतीत होता हैं, तो वाहन जब्त कर फर्जीवाड़ा एव धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया जाए।
पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, और प्रेस स्टीकर का उपयोग केवल अधिकृत मीडियाकर्मियों के लिए होना चाहिए। यदि अपराधी इसे ढाल बनाकर बच निकलते हैं, तो न केवल कानून-व्यवस्था प्रभावित होती है बल्कि असली पत्रकारों की साख को भी नुकसान होता है।
एसएसपी ने आम जनता से भी अपील की है कि यदि कोई संदिग्ध व्यक्ति प्रेस या पुलिस का स्टीकर लगाए घूमता दिखाई दे और उसका आचरण संदेहास्पद हो, तो तत्काल पुलिस को सूचना दें।
अब समय आ गया है जब फर्जीवाड़ा कर पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुँचाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए। पटना पुलिस का यह कदम न केवल अपराध पर लगाम लगाएगा बल्कि प्रेस की प्रतिष्ठा को भी बचाएगा।