बिहार में युवाओं को रोजगार देने की दिशा में एक नई सुबह दिखाई दे रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को अब नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना (CMGPY) के तहत अब तक राज्य के 45,000 से अधिक ग्रामीण युवाओं को स्व-रोजगार से जोड़ा जा चुका है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और वे आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना की शुरुआत राज्य सरकार ने उन युवाओं को ध्यान में रखकर की थी, जो गांवों में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं। इस योजना के तहत ग्रामीण युवा 4 पहिया यात्री वाहन (जैसे ऑटो, टैक्सी, मैक्सी आदि) खरीदकर अपनी परिवहन सेवा शुरू कर सकते हैं। सरकार इस पर उन्हें अनुदान देती है, जिससे उनकी शुरुआत आसान हो जाती है।
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, योजना के 11वें चरण में, जो जून 2024 में शुरू हुआ था, अब तक 3,500 से अधिक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के युवाओं ने आवेदन किया है। इनमें से लगभग 900 युवाओं ने वाहन भी खरीद लिया हैं, और बाकियों को जल्द ही अनुदान प्रदान किया जाएगा।
यह योजना न सिर्फ रोजगार उपलब्ध करा रही है, बल्कि बिहार के गांवों में यातायात की सुविधा भी बढ़ा रही है। ऐसे गांव जहां पहले वाहन मिलना मुश्किल था, अब वहां स्थानीय परिवहन सेवा उपलब्ध हो रही है। इससे गांवों की अर्थव्यवस्था में गति आई है।
इस योजना की खासियत है कि 50 प्रतिशत तक की अनुदान राशि राज्य सरकार देती है। योजना विशेष रूप से SC, ST, EBC वर्गों के लिए आरक्षित है। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है। एक पंचायत में अधिकतम तीन लाभुकों को वाहन क्रय हेतु चयनित किया जाता है। महिलाओं को भी विशेष वरीयता दी जा रही है।
इस योजना से लाभान्वित हुए कई युवाओं ने बताया है कि अब उन्हें रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है। वे अपने गांव में रहकर ही परिवहन सेवा चला रहे हैं और प्रतिदिन 500 से 1000 रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। कुछ युवाओं ने तो दो वाहन तक खरीद लिया हैं और अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहा हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह योजना राज्य में ग्रामीण सशक्तिकरण का मजबूत उदाहरण बन चुका है। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में एक लाख से अधिक युवाओं को इस योजना से जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना केवल एक स्कीम नहीं, बल्कि गांव के युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता का नया रास्ता है। यह योजना न सिर्फ उन्हें रोजगार देती है, बल्कि सम्मान और पहचान भी दिलाती है।