प्रकृति का अजूबा है - “सॉसेज ट्री”

Jitendra Kumar Sinha
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प्रकृति रहस्यों और अद्भुतताओं से भरी हुई है। इसी रहस्यमयी श्रृंखला में एक अनोखा नाम है “सॉसेज ट्री”। इसका वैज्ञानिक नाम है किगेलिया अफ्रीकाना। यह वृक्ष जितना सुंदर है, उतना ही आश्चर्यजनक भी। खास बात यह कि इसके फल किसी विशाल सॉसेज जैसे दिखते हैं, जो देखने वालों को पहली बार में चौंका देता हैं। 

“सॉसेज ट्री” मूलतः उप-सहारा अफ्रीका में पाया जाता है। खासकर मोजाम्बिक, ज़ाम्बिया, जिम्बाब्वे, केन्या, और तंज़ानिया में इसके कई प्राकृतिक वन क्षेत्र हैं। लेकिन अब इसकी विलक्षणता के कारण इसे कई देशों के वनस्पति उद्यानों और निजी बगीचों में सजावटी पौधे के रूप में उगाया जाने लगा है।

इस पेड़ का नाम इसके अनूठे फलों के कारण पड़ा। इसके फल दो फीट तक लंबे, बेलनाकार और बेहद भारी होते हैं। वजन की बात करें तो ये 5 से 6 किलोग्राम तक हो सकता हैं। इसका रंग भूरा होता है और यह पेड़ की शाखाओं से नीचे की ओर लटकते रहता हैं, जिससे यह पेड़ एक कलात्मक कृति जैसा दिखता है।

सॉसेज ट्री के फूल भी कम रोचक नहीं हैं। इनके फूल गहरे जामुनी या क्रिसमस रेड रंग के होते हैं और इनकी महक बेहद तेज होती है। खास बात यह है कि यह फूल रात्रिकाल में खिलते हैं। इनकी तीव्र गंध विशेष रूप से चमगादड़ों को आकर्षित करता है, जो इस पेड़ के प्रमुख परागणकर्ता हैं। यानि इन फूलों के माध्यम से यह वृक्ष चमगादड़ों की मदद से प्रजनन प्रक्रिया पूरी करता है।

इसके फल दिखने में मजेदार लगता हैं, लेकिन यह सीधे तौर पर खाने योग्य नहीं होता है। कच्चे फल विषैले होते हैं और मनुष्यों एवं जानवरों, दोनों के लिए हानिकारक हो सकता हैं। लेकिन इन्हें सुखाकर पारंपरिक औषधियों में प्रयोग किया जाता है। अफ्रीकी लोक चिकित्सा में यह त्वचा रोगों, सौर जलन, और फोड़े-फुंसियों के इलाज में उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा यह पेड़ मिट्टी को पकड़कर बाढ़ रोकने में भी सहायक होता है।

सॉसेज ट्री प्रकृति की उस विलक्षण रचना का उदाहरण है जो देखने में अजीब है लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद उपयोगी और रोचक भी। इसकी सजावटी सुंदरता, अनूठे फल और परागण की विशेष प्रक्रिया इसे बाकी पेड़ों से अलग बनाता हैं। 



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