प्रकृति का सबसे गहरा रहस्य यह है कि जो तत्व जीवन के लिए खतरा बन सकता हैं, वह जीवन रक्षक भी बन सकता हैं। ऐसा ही एक आश्चर्यजनक उदाहरण हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दिया है- एक जहरीले फफूंद एस्परगिलस फ्लेवस (Aspergillus flavus) से एक संभावित कैंसर विरोधी दवा की खोज। यह नई चिकित्सा खोज न केवल विज्ञान की क्षमता को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में लाखों कैंसर मरीजों के लिए आशा की किरण भी बन सकता है।
एस्परगिलस फ्लेवस आमतौर पर कृषि में एक खतरनाक फफूंद के रूप में जाना जाता है जो अनाजों, मेवों और बीजों को संक्रमित करता है। यह अफ्लाटॉक्सिन नामक एक विषैला पदार्थ उत्पन्न करता है, जो मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। परंतु, पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसी फफूंद में छिपी एक अनोखी रासायनिक संरचना को खोज निकाला है, जिसने विज्ञान की दिशा ही बदल दी है।
शोधकर्ताओं ने इस फफूंद से एस्पेरिजिमाइसिन नामक एक यौगिक की खोज की है, जो कैंसर की कोशिकाओं को लक्षित रूप से नष्ट कर सकता है। यह यौगिक विशेष रूप से ल्यूकेमिया कोशिकाओं (रक्त कैंसर) पर प्रभावी पाया गया है और इसका अन्य कोशिकाओं पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं हुआ, जो इसे एक लक्षित और सुरक्षित चिकित्सा विकल्प बनाता है।
यह यौगिक एक प्रकार के पेप्टाइड (प्रोटीन के टुकड़े) से बना है, जिन्हें राइबोसोमली उत्पादित और बाद में संशोधित किया गया है। इन्हें RIPs (Ribosomally synthesized and Post-translationally modified Peptides) कहा जाता है। RIPs की विशेषता यह है कि ये कोशिकाओं के भीतर जाकर विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे सामान्य स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित नहीं होता है। राइबोसोम, जो कोशिकाओं में प्रोटीन उत्पादन के केंद्र होता हैं, एस्पेरिजिमाइसिन को संशोधित कर ऐसे रूप में प्रस्तुत करता हैं कि वह कैंसर कोशिकाओं को विशेष रूप से लक्षित करता है। इससे एक ओर जहां दवा की प्रभावशीलता बढ़ता है, वहीं दूसरी ओर इसके दुष्प्रभाव सीमित होता हैं।
पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रारंभिक परीक्षणों में यह यौगिक एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) द्वारा मान्य वर्तमान दवाओं के समान प्रभावी पाया गया है। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि एफडीए मान्यता प्राप्त दवाएं ही वैश्विक स्तर पर भरोसेमंद माना जाता है। एस्पेरिजिमाइसिन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि यह सामान्य कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करता है। इस गुण के कारण यह दवा अन्य कैंसर दवाओं की तुलना में अधिक सुरक्षित हो सकता है। मौजूदा कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरैपी जैसी तकनीकों में जहां मरीज को कई प्रकार के दुष्प्रभाव सहने पड़ते हैं, वहीं यह नई दवा उस दृष्टि से राहत प्रदान कर सकती है।
अभी यह दवा प्रीक्लिनिकल स्टेज में है। इसका अगला कदम पशु मॉडल पर परीक्षण करना है ताकि यह समझा जा सके कि यह जटिल जीवित प्रणाली में कैसे काम करती है। अगर ये परीक्षण सफल रहता है, तो इसके मानव परीक्षण की शुरुआत किया जा सकता है। मानव परीक्षण के दौरान यह जांचा जाएगा कि एस्पेरिजिमाइसिन कैंसर के किस-किस प्रकार पर असरकारक है, इसकी सुरक्षित खुराक क्या हो सकता है और यह दवा शरीर के अन्य अंगों पर क्या असर डालती है। यह परीक्षण लंबी अवधि के होता है लेकिन इनके सफल होने पर यह दवा कैंसर चिकित्सा की दिशा बदल सकता है।
यह पहली बार नहीं है जब फफूंद से कोई प्रभावशाली दवा तैयार की गई हो। पेनिसिलिन, जो दुनिया की पहली एंटीबायोटिक माना जाता है, भी पेनिसिलियम नामक फफूंद से बना था। इसने चिकित्सा विज्ञान में क्रांति ला दिया था और लाखों जानें बची थी।
शोधकर्ता शेरी गाओ के अनुसार, “प्रकृति ने हमें पेनिसिलिन दी, और यह नई खोज दिखाती है कि प्रकृति से और भी कई चमत्कारी दवाएं मिल सकती हैं, जिन्हें अभी तक खोजा नहीं गया है।” इससे संकेत मिलता है कि प्रकृति में कई रहस्यमय यौगिक छिपा हुआ है, जो गंभीर बीमारियों के उपचार में मदद कर सकता हैं।
भविष्य में वैज्ञानिक इस यौगिक के संशोधित संस्करण तैयार कर सकता हैं, जो न केवल ल्यूकेमिया, बल्कि स्तन, यकृत, फेफड़ों और अन्य प्रकार के कैंसर पर भी प्रभावी हो सकता हैं।
यदि एस्पेरिजिमाइसिन मानव परीक्षणों में सफल होता है, तो यह दवा अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक क्रांतिकारी उत्पाद के रूप में सामने आ सकता है। इससे न केवल अमेरिका, बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों को भी राहत मिल सकता है, जहां कैंसर की दर लगातार बढ़ रही है।
भारत में कैंसर के इलाज की लागत बहुत अधिक होता है। यदि यह दवा उत्पादन में सस्ता साबित होता है, तो यह आम आदमी के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है।
यह खोज भारतीय शोध संस्थानों को भी प्रेरित कर सकता है कि वे स्थानीय फफूंदों, जड़ी-बूटियों और जैविक संसाधनों से नई दवाएं तैयार करें।
एक फफूंद जो अनाज को बर्बाद करता है, आज कैंसर जैसी घातक बीमारी का इलाज बन सकता है। यह विज्ञान की उस शक्ति का प्रतीक है, जो विनाश में भी सृजन देख सकता है। एस्पेरिजिमाइसिन केवल एक दवा नहीं, बल्कि उस उम्मीद का नाम है जो लाखों कैंसर मरीजों के दिल में एक नई रोशनी जगा सकता है।