चीन ने कुनमिंग में पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ पहली त्रिपक्षीय बैठक आयोजित कर यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह भारत को चारों तरफ से घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। कभी कट्टर दुश्मन रहे पाकिस्तान और बांग्लादेश को साथ लेकर चीन ने व्यापार, निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था समेत कई क्षेत्रों में गहरा सहयोग बढ़ाने का फार्मूला बनाया है।
बयान के अनुसार इस गठबंधन का उद्देश्य 'सच्चा बहुपक्षवाद' और 'खुला क्षेत्रवाद' है, लेकिन असलियत यह है कि यह सभी कदम एक स्पष्ट उद्देश्य — भारत को बैकग्राउंड में रखना — से प्रेरित हैं। चीन ने एक वर्किंग ग्रुप की रूपरेखा तय की है जो इन समझौतों को लागू करेगा, जबकि पाकिस्तान की विदेश सचिव अमना बलूच ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में चीन की इस पहल की खुलकर तारीफ की ।
पाक-बांग्ला तालमेल का नजारा भी नया है — पिछले वर्ष बांग्लादेश के प्रशासन पर पाकिस्तान की पैठ बढ़ी, और अब नीति के इर्द‑गिर्द एक वैचारिक बदलाव सामने आता दिख रहा है । चीन यहाँ सिर्फ एक 'आम हित वाला सहयोग' नहीं बल्कि एक क्षेत्रीय ढाँचा तैयार कर भारत की गतिविधियों को बैलेंस करने की दिशा में अग्रसर है ।
इसका मतलब है कि चीन ने अब बुनियादी स्तर पर ही बीआरआई और क्वाड जैसी पहलों को चुनौती देने के लिए नए गुट गठित कर लिए हैं। इसका एक असर यह होगा कि भारत को इन विकास पहलों के लिए लोकल सैधांतिक समर्थन जुटाना और अधिक मुश्किल हो जाएगा ।
कुल मिलाकर यह बैठक सिर्फ तीन देशों का इवेंट नहीं, बल्कि एक स्पष्ट मैसेज है: अगर भारत दक्षिण एशिया में दबदबा चाहता है, तो उसे इन नई बहुपक्षीय चालों के लिए तैयार रहना होगा — वरना आने वाले समय में उसे बर्नगति से घेरा जा सकता है।
